कासिम खान, नूंह।
गुरुग्राम- अलवर मार्ग पर नूंह - बड़कली चौक के बीच तक़रीबन 20 किलोमीटर
में कम से कम सैकड़ों किसान व उनके छोटे - छोटे बच्चे सड़क के दोनों और हाथों
में चने की फसल की गडडी बनाकर दिन भर ग्राहकों के इंतजार में रहते है।
हरे चने उखाड़ कर पेट भरने के लिए सुबह से शाम तक जगह - जगह खासकर गंडूरी -
हसनपुर , खेड़ी खेड़ली नूंह , आकेड़ा , मालब इत्यादि गांवों के किसान और उनके
लड़के-लड़कियां बैठे रहते है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
दस रुपये चने की गड्डी तो 40 रूपये प्रति
किलोग्राम ताजा मटर किसान बेचते हैं। एक तो फसल का कम होना , उपर से
मंडियों में फसल का उचित दाम नहीं मिलना सड़कों पर दिनभर फसल बेचना बताया
जा रहा है। किसान को सड़क के दोनों और फसल बेचने से एक तो नकद और उचित दाम
मिल जाता है ,दूसरा मंडी की आफत से उसका पीछा छूट जाता है। ग्राहक भी मंडी
की बजाय चने और मटर महंगे मिलने के बावजूद भी ताजा शुद्ध होने की वजह से
सड़क पर फसल बेचने वाले किसान से खूब खरीदते है। ऐसा नहीं कि यह पहली बार
हो रहा है ,कई वर्षों से बेर , अमरुद इत्यादि फल भी किसान जगह - जगह सड़क पर
बेचते हुए नजर आते है। नूंह मेवात जिले के नगीना खंड में न तो नहरी पानी
है और न ही टयूबवैल का पानी है। सैकड़ों एकड़ फसल में किसान पानी की कमी के
चलते मसूर , चना , देशी गेंहू , मटर इत्यादि के बीज डाल देता है। कुदरत
बरसात कर देता है तो किसान के वारे-न्यारे हो जाते हैं ,वर्ना भूखे मरने
की नौबत भी इस खंड के लोगों को आ जाती है।
नगीना खंड के करीब 60 से अधिक
गांव पूरी तरह बरसात के पानी पर आधारित है। रोजाना घर का खर्च चल सके,
इसलिए किसान मंडी में ले जाने के बजाय फसल को सड़क पर ही बेच देता है। कुछ
दिन चना इत्यादि बेचने के लिए किसान को अपने स्कूली बच्चों से भी रोककर चना
बिकवाना पड़ता है। बच्चे भी इस काम में अपने परिवार का खूब साथ देते है ।
एक - एक बच्चा कई - कई सौ रुपये की बिक्री कर लेता है। देश के उन हुकमरानों
को इस पर खास ध्यान देने की जरुरत है,जो किसानों के लिए संसद से सड़क तक
बड़ी-बड़ी बातें करते है। मंडियों में उचित दाम नहीं मिलने और फसल का
उत्पादन कम होने की वजह से मजबूरन धरती पुत्र सड़क पर दिनभर फसल बेचने को
मजबूर है। बच्चों की पढाई भी चने बेचने की वजह से प्रभावित हो रही है।
किसान इसलाम,जुबैर,हाजी कल्लू ,नजीर,शौकत इत्यादि का कहना है कि
किसानों की कोई सरकार सुध नहीं लेती। न तो इस इलाके में सिंचाई के लिए पानी
है और जो थोड़ी बहुत फसल होती है। उसके दाम कम मिलते है ,इन दिनों स्कूल
जाने वाले बच्चों को रोककर खेती के काम में खासकर लावणी और चना बेचने में
लगाया जाता है।
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