नूंह। स्वास्थ्य विभाग हरियाणा भले ही महिलाओं और बच्चों में खून की कमी के साथ-साथ शिशु-मृत्यु दर में सुधार की भरसक कोशिशों में जुटा हो, लेकिन आज भी खून की कमी या किसी अन्य वजह से शिशु-मृत्यु दर में बढ़ोतरी जारी है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
रविवार को घाघस गांव की एक विवाहिता ने पहले तो मरे हुए बच्चे को जन्म दिया और बाद में अस्पताल जाते समय खुद ने भी दुनिया छोड़ दी। कुछ लोग बच्चे और मां की मौत की वजह इंफेक्शन मान रहे हैं, लेकिन मायके पक्ष इसे मानने को तैयार नहीं हैं। कई घंटे तक अल आफिया अस्पताल मांडीखेड़ा में दोनों पक्षों के बीच पंचायत चली, तब जाकर बड़ी मुश्किल से आपसी सहमति बन पाई। पुलिस ने सहमति बनने के बाद पीड़ित पक्ष की शिकायत पर 174 की कार्रवाई कर शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों के हवाले कर दिया। मृतक सरजीना चार बच्चों की मां है।
जानकारी के मुताबिक मजीद निवासी नांगल राजस्थान ने अपनी बेटी सरजीना की शादी घाघस गांव के मुबीन के साथ की थी। कई साल के वैवाहिक जीवन में सरजीना कई बच्चों की माता बनी, घर का खानपान बेहतर नहीं होने के कारण सरजीना काफी कमजोर हो चुकी थी, जिसने डिलीवरी के समय दम तोड़ दिया। पोस्टमार्टम की कार्रवाई के दौरान अस्पताल प्रांगण में दोनों पक्षों की भारी भीड़ रही। आख़िरकार कई घंटे की मशक्कत के बाद आपसी सहमति बन गई। बड़ी बात तो यह है कि शिशु -मृत्यु दर रोकने के और महिलाओं में खून की कमी को दूर करने के स्वास्थ्य विभाग लाख दावे कर रहा हो , लेकिन जच्चा- बच्चा की मौत मेवात में आज भी जारी है। बता दें कि मातृ - शिशु मृत्यु दर हरियाणा में सबसे ज्यादा नूंह मेवात जिले में है।
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