कोर्ट ने फैसले पर अपनी टिप्पणी देते हुए कहा, महिला के ऐफिडेविट से उनके
साथ क्रूरता की बात साबित हो चुकी है। जब एक महिला अपने ससुराल को त्याग कर
अपने माता-पिता के साथ रहने की इच्छा जताती है, तो वैधानिक तौर पर यह
जानना जरूरी हो जाता है कि किन हालात में उसने यह कदम उठाया है। इस केस में
महिला के साथ क्रूरता की बात साबित हुई है। ये भी पढ़ें - अनाथ और गरीब बच्चों के मन की मुराद पूरी कर रहा है साई सौभाग्य मंदिर
पीडि़त महिला के वकील
जेपी शर्मा ने दलील दी कि शादी के वक्त से ही उनके मुवक्किल (महिला) से
दुर्व्यवहार किया जा रहा था। खाना न बनाने के लिए उनका अपमान करते हुए पति
ने काली-कलूटी कहा था। नवंबर 2012 में वह अपने माता-पिता के साथ रहने लौट
आई थीं। याचिकाकर्ता के पिता ने अपने दामाद और उनके परिवार के सदस्यों से
मामले को सुलझाने को कहा था लेकिन उन्होंने अपने बेटे की दूसरी शादी करवाने
की धमकी दी। कोर्ट के इस फैसले से महिला का जहां आत्मसम्मान बढ़ेगा। वहीं,
पुरुषों को भी अपनी पत्नियों के सम्मान की सीख मिलेगी।
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