करनाल।
हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष और ग्रामोदय अभियान के संयोजक प्रोफेसर
वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि संत कबीर बाहरी आडंबरों और दिखावे के
विरोधी थे। वही स्वयं को सच्चा कबीरपंथी कहलाने का हकदार है जो कबीर दास जी
के सिद्धांतों पर चलते हुए आडंबरों और रूढ़ियों को न करने का साहस रखता
है। वह क्षेत्र के गांव पोपड़ा में कबीर पंथी समुदाय द्वारा निर्मित मंदिर
में संत कबीर दास की प्रतिमा की स्थापना के उपरांत ग्राम वासियों को
संबोधित कर रहे थे। कलायत विधानसभा की निगरानी कमेटी के अध्यक्ष डॉक्टर
संदीप राणा और जींद जिला भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष जयदीप
दुग्गल इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अपने संबोधन में ग्रंथ
अकादमी उपाध्यक्ष प्रोफेसर चौहान ने कहा की बिना किसी औपचारिक शिक्षा के
कबीर दास जी ने ज्ञान और अध्यात्म की उन ऊंचाइयों को छुआ जिन्हें अधिकांश
सुशिक्षित लोग नहीं छुपाते। अपनी इसी समझ बूझ के दम पर कबीर दास जी ने डंके
की चोट पर रूढ़िवादी परंपराओं को चुनौती दी। वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा
कि कबीर दास सामाजिक भाईचारे के बहुत बड़े पैरोकार थे। उन्होंने अध्यात्म
के गूढ़ रहस्यों को आम आदमी की बोली में काव्य रूप में प्रस्तुत किया।
इस अवसर
पर जींद जिला के युवा मोर्चा सचिव क्रिशन मराठा , नरेश पंच , मास्टर गजे
सिंह , मास्टर वजीर सिंह , सत्यनारायण , शमशेर सिंह , कुलदीप , रामनिवास और
सतीश आदि मौजूद थे ।
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