चंडीगढ़। हरियाण भवन एवं अन्य निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड आगामी 2 जुलाई से 31 जुलाई तक प्रदेशभर में श्रमिको के कल्याण के लिए एक विशेष अभियान चलाएगा। अभियान के तहत शहर कलेबर चौक, निर्माण स्थलों और दूर-दराज के गांवो में विशेष शिविर लगाकर पात्र श्रमिको को पंजीकृत किया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जिला उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने रविवार को इस सबंध में बताया कि सरकारी बोर्ड, कॉर्पोरेशन के प्रोजेक्ट, लोक निर्माण विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, मार्किटिंग बोर्ड, पुलिस हाऊसिंगकॉर्पोरेशन, पंचायती राज विभाग, हरियाणा पयर्टन निगम तथा भिन्न-भिन्न विश्वविद्यालयों के निर्माण विंग से जुड़े ठेकेदारों के साथ बड़ी संख्या में श्रमिक कार्य करते हैं लेकिन वे पंजीकृत नही हैं। उन्होने बताया कि ऐसे श्रमिक यदिअपने-आप को पंजीकृत करवाएंगे, तो वह बोर्ड की ओर से लागू की गई अनेक कल्याण स्कीमो का लाभ उठा सकेंगे।
मुख्य कल्याण स्कीमो की जानकारी देते हुए उपायुक्त ने बताया कि मातृत्व बैनीफिट स्कीम के तहत कम से कम 1 साल के लिए नियमित पंजीकृत महिला श्रमिक को उसके बच्चे के जन्म पर 36 हजाररूपये का लाभ दिया जाता है। इसी प्रकार पंजीकृत निर्माण श्रमिक पुरूष को भी यदि उसकी पत्नी द्वारा लाभ नही लिया गया है, तो उसे भी 21 हजार रूपये का लाभ दिया जाता है। इसके लिए फार्म-11 में आवेदन भरकर देनाहोगा। उन्होने बताया कि पंजीकृत निर्माण श्रमिक के बच्चो की पढ़ाई के लिए पहली कक्षा से स्नातकोत्तर तक 8 हजार से 20 हजार रूपये तक वार्षिक वित्तीय सहायता दी जाती है। बोर्ड द्वारा दसवीं में मैरिट प्राप्त करने वालेश्रमिको के बच्चो को 21 हजार रूपये से 51 हजार रूपये का वजीफा भी दिया जाता है। तीन साल में एक बार 8 हजार रूपये का अनुदान औजार खरीदने तथा 3 हजार रूपये की वित्तीय सहायता बाई-साईकिल खरीदने के लिएदी जाती है। पंजीकृत महिला निर्माण श्रमिक को जीवन मेें एक बार 3500 रूपये की वित्तीय सहायता सिलाई मशीन खरीदने के लिए दी जाती है।
उपायुक्त ने बताया कि मुख्यमंत्री महिला निर्माण श्रमिक सम्मान योजना के तहत कम से कम एक वर्ष तक नियमित पंजीकृत महिला को 5100 रूपये की राशि, वस्त्र इत्यादि खरीदने के लिए दी जाती है। यहसुविधा हर वर्ष मैम्बरशिप के नवीनीकरण के समय दोहराई जाती है। पंजीकृत श्रमिको को उनकी बेटी के विवाह के लिए 51 हजार रूपये कन्या दान स्कीम के तहत प्रदान किए जाते हैं, बशर्ते कि आवेदक ने सरकार की दूसरी ऐसी स्कीम से लाभ प्राप्त ना किया हो।
इसी प्रकार रजिस्टर्ड श्रमिको के बच्चो के विवाह के लिए 21 हजार रूपये और 50 हजार रूपये की वित्तीय सहायता भी दी जाती है। राष्ट्रीय सुरक्षा बीमा योजना के तहत निशुल्क ईलाजखर्च के लिए 50 हजार रूपये की वार्षिक सहायता दी जाती है। जबकि क्रोनिक बीमारी के ईलाज के लिए 1 लाख रूपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। पंजीकृत श्रमिक के शारीरिक रूप से अक्षम बच्चे को डिसेबिलिटी प्रमाणपत्र के आधार पर 1 हजार रूपये की वित्तीय सहायता तथा 3 साल तक नियमित पंजीकृत व 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके श्रमिक को 1 हजार रूपये मासिक पैंशन दी जाती है। ऐसे लाभार्थी श्रमिक की मृत्यु की सुरत में उसकीपत्नी को 500 रूपये प्रति माह पैंशन दिए जाने का प्रावधान है।
उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने आगे बताया कि जो श्रमिक कार्यस्थल पर दुर्घटना में अशक्त हो जाता है, उसे 50 प्रतिशत अशक्तता के आधार पर डेढ लाख, 51 से 75 पर 2 लाख तथा 76 प्रतिशत और इससेज्यादा डिसेबिलिटी होने पर 3 लाख रूपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। पंजीकृत श्रमिक की मृत्यु हो जाने की सूरत में उसके द्वारा नामित या कानूनी वारिस को 2 लाख रूपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। उन्होने बतायाकि मुख्यमंत्री सामाजिक सुरक्षा योजना के तहत कार्यस्थल पर दुर्घटना व मृत्यु हो जाने की सूरत में मृतक के वारिस को 5 लाख रूपये की वित्तीय सहायता दिए जाने का प्रावधान है। जबकि ऐसे मामले में संस्कार इत्यादि के कार्यके लिए 15 हजार रूपये की राशि दी जाती है। यदि श्रमिक पंजीकृत नही है और कार्यस्थल पर दुर्घटना में वह अपंग हो जाता है तो उसे भी 75 हजार से डेढ लाख रूपये की सहायता
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