करनाल। करनाल में देश के बेटे नितेश कुमार का स्वागत एक बेहद खास अंदाज़ में हुआ। नितेश कुमार, जिन्होंने हाल ही में पैरा ओलंपिक में SL3 बैडमिंटन में मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया है, अब अपने गांव में एक हीरो की तरह सम्मानित किए गए हैं। उनकी कहानी संघर्ष और प्रेरणा से भरी हुई है, जो हर किसी के दिल को छू सकती है।
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विशाखापट्टनम में हुए एक दर्दनाक हादसे ने नितेश की ज़िंदगी बदल दी। इस हादसे में उनकी एक टांग चली गई, लेकिन उन्होंने हार मानने के बजाय खेल को अपना पथ चुना। विराट कोहली और प्रमोद भगत को अपना आदर्श मानते हुए, नितेश ने खेल की दुनिया में खुद को साबित किया। उनके इस संघर्ष ने उन्हें न केवल एक बेहतर खिलाड़ी बल्कि एक प्रेरणादायक सीनियर कोच भी बना दिया।
नितेश के माता-पिता ने हमेशा उनका समर्थन किया। उनके पिता नौसेना में अधिकारी रह चुके हैं और नितेश के लिए वर्दी या खेल में से एक को चुनना चुनौतीपूर्ण था। हादसे के बाद, उन्होंने खेल को चुना और आज भारत को एक शानदार बैडमिंटन खिलाड़ी और सीनियर कोच मिला है। उनका करनाल में स्वागत दर्शाता है कि उनकी मेहनत और संघर्ष की कितनी सराहना की जा रही है।
अब नितेश कुमार बच्चों को बैडमिंटन सिखा रहे हैं और उनके द्वारा किए गए कार्य उनके प्रेरणादायक करियर का हिस्सा हैं। करनाल में उनका स्वागत इस बात का प्रमाण है कि उनकी मेहनत और संघर्ष ने न केवल उन्हें बल्कि उनके पूरे परिवार को गर्वित किया है।
नितेश की कहानी साबित करती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर आपके पास संघर्ष और सपने देखने की शक्ति हो, तो आप किसी भी लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं। उनकी कहानी हमें प्रेरित करती है कि चाहे कितनी भी कठिनाई क्यों न आए, अगर आप दृढ़ संकल्पित हैं तो सफलता आपके कदम चूमेगी।
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