करनाल,। हरियाणा के कई जिलों में पराली जलाने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं, इससे प्रदूषण बढ़ रहा है। वहीं, करनाल में किसान पराली प्रबंधन कर वातावरण को प्रदूषित होने से बचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
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किसानों द्वारा पराली नहीं जलाने से जहां एक ओर वातावरण प्रदूषित होने से बच रहा है, वहीं दूसरी तरफ वो आसपास के ग्रामीणों को रोजगार भी मिल रहा है। पराली प्रबंधन करने वाले किसानों में एक नाम सोमनाथ का भी, जो 50 लोगों को रोजगार देने का काम कर रहे हैं।
किसान सोमनाथ ने बताया कि सरकार ने उनको 80 प्रतिशत की सब्सिडी पर साल 2021 में बेलर दिया था। इसके बिना वह पराली प्रबंधन नहीं कर पाते। शुरू से उनको इसका फायदा मिला। किसानों को एक एकड़ पर एक हजार रुपये की राशि बतौर अनुदान प्रदान की जाती है। उन्होंने बताया कि पराली प्रबंधन के लिए कटर चलाने का काम करते हैं।
सोमनाथ बताया कि वो पराली प्रबंधन का काम साल 2018 से कर रहे हैं। सरकार ने 2021 में हमको 80 प्रतिशत सब्सिडी में बेलर मशीन दिया। अब इसके जरिए बगैर प्रदूषण फैलाए पराली का समुचित निस्तारण कर रहे हैं।
किसानों द्वारा पराली जलाने के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि किसानों को मजबूरी में पराली जलाना पड़ता है। अगर, किसी खेत से नमी चली गई, तो वहां कोई भी काम नहीं हो सकता है।
पराली प्रबंधन को लेकर कृषि अधिकारी संदीप कुमार ने किसानों से अपील करते हुए कहा कोई भी किसान भाई अपने खेतों में खड़ी फसलों को आग ना लगाएं। कृषि विभाग के आधुनिक कृषि यंत्रों का प्रयोग कर फसल अवशेष प्रबंधन का काम करें। इसके लिए सरकार किसानों को 1000 प्रति एकड़ का अनुदान भी प्रदान करती है। उन्होंने कहा कृषि विभाग 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर किसानों को कृषि यंत्र प्रदान करता है, इससे वह पराली प्रबंधन कर अच्छी कमाई कर सकते हैं और वातावरण को भी प्रदूषित होने से बचा सकते हैं।
--आईएएनएस
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