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बाल श्रम है एक अभिशाप, आओ मिलकर करें प्रयास-उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया

Child labor is a curse, come together to try, Deputy Commissioner Dr. Aditya Dahiya - Karnal News in Hindi

करनाल। जिला उपायुक्त डॉ. आदित्य दहिया ने शनिवार को बताया कि 14 वर्ष से कम आयु के नाबालिग बच्चे से किसी भी तरह का कार्य करवाना तथा 18 वर्ष के नाबालिग से किसी भी तरह का खतरनाक व जोखिम भरा (खान, ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटक सामान के कारखाने, कोयले व बिजली उत्पादन, उर्वरक, लोह और इस्पात उद्योग इत्यादि) काम करवाना कानूनन अपराध है। ऐसे अपराध को रोकने के लिए बाल एवं किशोर श्रम कानून-1986 तथा इसके बाद बाल एवं किशोर श्रम संशोधित कानून-2016 बना। इन कानूनों का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति के लिए श्रम विभाग तथा जुवेनाईल जस्टिस एक्ट में जुर्माना व जेल की सजा का प्रावधान है।

क्या बच्चो को रोजगार देना कानूनी है - इस बारे उपायुक्त ने बताया कि 14 साल से कम उम्र के बच्चों को रोजगार पर नहीं लगाया जा सकता। हालांकि परिवारिक व्यवसायो में बच्चों को स्कूल के बाद और छुट्टियों के दौरान बच्चों को काम करने की अनुमति है। उन्होंने बताया कि 14 से 18 वर्ष के बच्चो के लिए कानून में किशोरावस्था शब्द कहा गया है, ऐसे बच्चों को जोखिमभरा व खतरनाक कार्य में नहीं लगाया जा सकता।

कानून के उल्लंघन की स्थिति में क्या करें - यदि किसी व्यक्ति को किसी के द्वारा कानून का उल्लंघन दिखाई दे, तो वह चाईल्ड हैल्प लाईन 1098 पर फोन करके सूचना दे सकता है। यह बच्चों के लिए 24 घंटे नि:शुल्क आपातकालीन फोन सेवा की सुविधा है। इसके अतिरिक्त किसी बच्चे की पिटाई या शोषण हो रहा हो, कोई खोया हुआ या बिछड़ा हुआ बच्चा मिले, कोई बच्चा अकेला, बीमार और बेसहारा मिले या कही बाल विवाह की सूचना मिले तो उस बारे भी 1098 पर बता दें। ऐसी सूचनाएं जिला बाल संरक्षण ईकाई तथा जिला बाल कल्याण समिति को भी दी जा सकती है। सूचना देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी। कानून का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति की शिकायत पुलिस, श्रम विभाग तथा जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय में भी दर्ज करवाई जा सकती है।

इस कानून के तहत बचाए गए बच्चो के साथ क्या होता है - जिन बच्चो को इन कानूनों के उल्लंघन में काम करने से बचाया जाता है, उनका पुनर्वास किया जाना चाहिए। देखभाल और सुरक्षा की आवश्यकता वाले बच्चो के लिए एक अलग कानून है, जो किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम-2015 है।

उन्होंने बताया कि बाल श्रम के खिलाफ कानून बनाए गए हैं और इसे एक अपराध भी घोषित किया गया है। फिर भी बच्चो के मामले में उन्हे बचाने तथा पुनर्वास के बारे गम्भीरता से काम लेना चाहिए, क्योंकि बचपन खेलने-कूदने और पढऩे-लिखने के लिए होता है। ऐसे बच्चों के लिए बाल भवन में शिक्षा आदि की नि:शुल्क सुविधाएं उपलब्ध हैं। जो अभिभावक बच्चो से किसी मजबूरी वश बाल श्रम करवाते हैं, ऐसे मामलो में जांच-पड़ताल के बाद उनके परिवारिक भरण-पोषण के लिए, जिला बाल कल्याण समीति की ओर से आर्थिक मदद का भी प्रावधान है।

उपायुक्त ने अपनी अपील में कहा है कि बच्चों से बाल श्रम ना करवाएं तथा उन्हे जोखिम भरे कार्यों में संलिप्त ना करें। बाल श्रम मुक्त समाज के लिए, विभिन्न कानूनो के प्रावधान के प्रभावी प्रवर्तन और क्रियान्वयन तथा विभिन्न स्टेकहोल्डर (हितधारक) एवं समुदाय की सक्रिय भागीदारी के बीच पूर्ण समन्वय स्थापित होना चाहिए।


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Web Title-Child labor is a curse, come together to try, Deputy Commissioner Dr. Aditya Dahiya
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