कैथल।धान के कटोरे ने नाम से
प्रसिद हरियाणा के जिला कैथल के लगभग सभी किसान धान की खेती करते हैं।
किसान अपने खेतों से धान की फसल काटने के बाद खेत में खड़े धान के फानों को
आग लगा देते हैं ताकि वे अपने खेत को अगली फसल के लिए जल्दी तैयार कर सके।
खेतों में धान के फानों को आग लगाने से चाहे किसान का खेत अगली फसल के लिए
जल्दी तो तैयार हो जाता है। लेकिन फानों में लगाई जाने वाली आग से जहां
वातावरण में भारी प्रदूषण फैलता है। वहीं कृषि वैज्ञानिकों की राय में खेत की
जमीन में किसान हितैषी कीट मर जाते हैं।वही जमींन की उपजाऊ शक्ति पर भी
भरी असर पहुँचता है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सरकार ने भी कड़े आदेश जारी किये हुए है कि खेत में खड़े
धान के फानों को आग लगाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सरकार के
कड़े आदेशों के बाबजूद भी अनेकों किसान धान के फानो में आग लगा देते है।
कृषि विज्ञान केंद्र के मुख्य वैज्ञानिक डॉ रमेश वर्मा ने किसानों का यह
आह्वाहन किया है कि वह अपने खेत में धान के फानो में आग न लगाए बल्कि खेत
की मिटटी को मल्चर मशीन और फिर पालतूहल मशीन ऊपर नीचे करके उस पर रोटावेटर
चला दें जिससे उनका खेत बागली फसल के लिए जल्दी तैयार हो जाएगा और इसके
सात साथ डाह के फानों से खेत को खाद मिल जाएगी, ऐसा करने से किसान के खेत
की ताकत बढ़ेगी और फसल का उत्पादन भी पहले से ज्यादा होगा, डॉ वर्मा ने
कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र की सलाह को कई प्रगतिशील किसान अपनाने लगे है,
उन्होंने कहा कि जिला कैथल के डेरा गदली के प्रगतिशील किसान अंग्रेज सिंह
ने अपने खेत में कृषि वैज्ञानिकों से सलाह से काम शुरू कर दिया है।
डॉ
वर्मा ने कहा कि यह मशीनें महंगी जरूर है लेकिन सरकार किसानों को इन मशीनों
पर सब्सिडी दे रही है। उनका कहना है कि यदि सरकार इन मशीनों पर सब्सिडी
और ज्यादा कर दें तो अधिकतर किसान इन मशीनों का उपयोग कर सकते है। प्रगतिशील
किसान अंग्रेज सिंह ने कहा कि खेत में खड़े धान के फानों को आग लगाना बहुत
गलत है। ऐसा करने से जहां पूरा वातावरण दूषित हो जाता है। वही जमींन नई ताकत
भी कमजोर पद जाती है। उन्होंने किसानों को अपील कि वे अपने खेतों में आग
न लगाकर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा बताई तकनीक को अपनाएं।
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