कैथल।
हरियाणा के पूर्व मुख्य संसदीय सचिव एवं इनेलो नेता रामपाल माजरा ने कहा
कि भाजपा सरकार ने बिजलों की दरों में वृद्धि करके जनता के साथ धोखा किया
है। भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी कांग्रेस की राह पर चलते हुए बिजली
खरीद फरोख्त करने में घोटाले करके कमीशन खाने का काम कर रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
बातचीत
करते हुए माजरा ने कहा कि अपने पावर स्टेशन बंद करके बिजली कंपनियों
द्वारा एक वर्ष में 700 करोड़ यूनिट सरप्लस बिजली बेचने में 590 करोड़ रुपए
का हानि उठानी पड़ रही है। यह आश्चर्य की बात है कि 3.90 पैसे बिजली
खरीदकर सरप्लस बिजली बताकर 3.10 पैसे बेची जा रही है और हैरत की बात है कि
महंगी खरीदकर सस्ती बेची जा रही है और हरियाणा की जनता को चूना लगाया जा
रहा है। अकेले पानीपत थर्मल पावर स्टेशन बंद करने से 580 करोड़ रुपए का
नुकसान उठाया जा रहा है।
बिजली खरीद में घोटाले के आंकड़े पेश करते हुए
उन्होंने कहा कि छींछान सिक्कम कंपनी से 5.56 प्रति यूनिट, जोरथंग सिक्कम
से 5.52 पैसे प्रति यूनिट, तासीन सिक्कम से 5.43 पैसे प्रति यूनिट, छांजू
हिमाचल 6.19 प्रति यूनिट, तीसता-3 एन.टी.पी.सी. से 6.51 पैसे, नैतवार मोरी
से 6.83 पैसे प्रति यूनिट बिजली खरीदने के समझौते किए गए हैं उनमें से
घोटाले की बू आती है क्योंकि वैगटू व ग्रीनको ने 3.25 प्रति यूनिट के हिसाब
से बिजली देने की पेशकश की थी जिसे सरकार ने नहीं माना और जिन कंपनियों से
उपरोक्त समझौते किए गए किसी भी राज्य ने उनसे कोई समझौता नहीं किया। लगभग
3.90 प्रति यूनिट हिसाब से औसतन बिजली खरीद पड़ती है और ऊंचे रेटों में
समझौते किए गए हैं उनमें से घपले और घोटाले की बू आती है।
माजरा ने कहा कि
प्रति वर्ष दीर्धकालीन समझौता होने की वजह से एन.टी.पी.सी. प्रगति गैस
बवाना को 300 करोड़ रुपए देने पड़ते हैं। इनैलो नेता ने कहा कि 35 पैसे
प्रति यूनिट के हिसाब से बिजली महंगी हो गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने 0
से 150 यूनिट तक 4.50 पैसे, 151 से 250 प्रति यूनिट तक 5 रुपए की जगह अब
5.25 पैसे, 251 से 500 यूनिट तक 6.5 पैसे थे अब 6.30 पैसे, 501 से 800
यूनिट तक 6.75 की बजाय 7.10 पैसे हो गए हैं। वहीं 800 यूनिट से ज्यादा होने
पर जहां पहले 6.75 पैसे की बजाय 7.10 पैसे हो गया है।
इनैलो नेता ने कहा
कि किसानों के साथ भाजपा ने धोख किया है किसानों को टयूबवैलों के कनैक्शन
देने से मना कर दिया। घपले, घोटाले और कुप्रबंधन का ठीकरा जनता के सिर पर
मढ़ दिया न तो लाइन लोसिस रोकने में कामयाब हुए और न ही बिजली के बिलों की
रिकवरी करने में कामयाबी मिली। जनता पर 1010 करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ
डाल दिया। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पहली बार बिजली के रेट बढ़ाकर यह
कहा था कि आगे रेट नहीं बढ़ाए जाएंगे। अपने उस निर्णय को पलटते हुए
प्रदेशवासियों के लिए खिलवाड़ किया।
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