जन्माष्टमी भारत की सांस्कृतिक और धार्मिक चेतना में गहराई से रचा-बसा एक ऐसा पर्व है, जो केवल एक तिथि भर नहीं, बल्कि सदियों से हमारी भावनाओं, हमारी स्मृतियों और हमारे जीवन-मूल्यों का अमर उत्सव रहा है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी की रात्रि जब घड़ियां बारह का अंक छूती हैं और मंदिरों में शंखनाद गूंज उठता है, तब मानो समय ठहर जाता है।
घर-घर में, गलियों में, मंदिरों में, झांकियों और सजावट के मध्य, झूले में नन्हे कान्हा को विराजमान किया जाता है। भक्ति, प्रेम, उल्लास और श्रद्धा का यह संगम केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक आत्मा का उत्सव है।
इस दिन भारत के हर कोने में एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है — छोटे-छोटे बच्चे मोरपंख, पीताम्बर, बांसुरी और मुकुट से सजे, कान्हा के रूप में घर की शोभा बढ़ाते हैं। यह परंपरा केवल रूप-सज्जा भर नहीं है; इसके पीछे गहरी सांस्कृतिक और नैतिक सोच है।
जब हम अपने बच्चों को कान्हा का रूप देते हैं, तो हम केवल उनके शरीर को नहीं सजाते, बल्कि उनके मन में एक ऐसी छवि अंकित करते हैं, जिसमें आनंद है, मासूमियत है, प्रेम है, मित्रता है और अन्याय के खिलाफ डटने का साहस भी।
कृष्ण का बाल-रूप भारतीय जनमानस में सदैव विशेष स्थान रखता है। माखन-चोरी की नटखटता, गोपियों के साथ स्नेहपूर्ण संवाद, बांसुरी की मधुर तान, और कंस जैसे अत्याचारी के विरुद्ध निर्भीक खड़ा होना — यह सब केवल पुरानी कथाएँ नहीं, बल्कि जीवन जीने की कला के संदेश हैं। इन कथाओं में मनोरंजन भी है, और शिक्षा भी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
जब बच्चा कान्हा बनता है, तो वह केवल एक पात्र का अभिनय नहीं करता, बल्कि अनजाने ही इन गुणों को आत्मसात करने लगता है।
समय के साथ समाज बदलता है और उसके मूल्य भी। आज का बच्चा पहले के बच्चों की तरह खेत-खलिहान, गलियों और आंगनों में दिन भर खेलता नहीं है। उसकी दुनिया अब मोबाइल, कंप्यूटर, वीडियो गेम और सोशल मीडिया के दायरे में सिमट गई है। पारंपरिक खेल और खुले में दौड़-भाग की जगह डिजिटल मनोरंजन ने ले ली है। ऐसे समय में जन्माष्टमी जैसे त्योहार बच्चों को हमारी जड़ों से जोड़ने का दुर्लभ अवसर बनकर आते हैं।
परंतु खतरा यह है कि यह अवसर भी कहीं केवल फोटो खिंचवाने या सोशल मीडिया पोस्ट करने भर का कार्यक्रम न बन जाए।
हमें यह समझना होगा कि कान्हा का वेश पहनाना केवल बाहरी रूप है। असली उद्देश्य है — बच्चों के भीतर कान्हा के गुणों को बोना। यह वही गुण हैं जो समय की हर कसौटी पर खरे उतरते हैं — सच्चाई, साहस, करुणा, रचनात्मकता और जीवन में आनंद की भावना। माखन-चोरी की कथा हमें सिखाती है कि आनंद लेना जीवन का हिस्सा है, लेकिन बिना किसी को नुकसान पहुंचाए।
गोवर्धन पर्वत उठाने की कथा नेतृत्व, टीमवर्क और जिम्मेदारी का पाठ देती है। सुदामा-कृष्ण की मित्रता हमें सिखाती है कि संबंध केवल सुविधा या लाभ पर नहीं, बल्कि सच्चे प्रेम और निष्ठा पर आधारित होने चाहिए।
आधुनिक संदर्भ में यदि हम सोचें कि कान्हा आज के युग में जन्म लेते, तो शायद वे भी लैपटॉप पर बैठकर संगीत रचते, सोशल मीडिया पर अपने विचार रखते, और पर्यावरण संरक्षण के लिए अभियानों का नेतृत्व करते। वे अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाते, चाहे वह साइबर बुलींग हो, लैंगिक भेदभाव हो या प्रकृति का दोहन।
वे अपने दोस्तों के साथ ऑनलाइन भी जुड़े रहते, पर उन्हें वास्तविक मुलाकात और एक-दूसरे का साथ निभाने की महत्ता भी सिखाते। यही सोच हमें अपने बच्चों में विकसित करनी है।
जन्माष्टमी का पर्व हमें यह अनमोल अवसर देता है कि हम बच्चों को केवल मोरपंख और मुकुट ही न पहनाएँ, बल्कि उनके हृदय में वे विचार और संस्कार भी अंकित करें, जो जीवनभर उनके मार्गदर्शक बनें। हमें चाहिए कि जब हम उन्हें कान्हा का रूप दें, तो साथ ही एक कथा भी सुनाएँ — ताकि वे उस रूप का भाव समझ सकें।
उदाहरण के लिए, उन्हें बताएं कि बांसुरी केवल संगीत का साधन नहीं, बल्कि प्रेम, शांति और संवाद का प्रतीक है। मुकुट केवल राजसी ठाठ का चिह्न नहीं, बल्कि जिम्मेदारी और संरक्षण का प्रतीक है। पीताम्बर केवल वस्त्र नहीं, बल्कि त्याग और सादगी का संदेश है।
त्योहार के इस अवसर को और सार्थक बनाने के लिए हमें अपने बच्चों को पर्यावरण के प्रति संवेदनशील बनाना चाहिए। हम उन्हें बता सकते हैं कि जैसे कान्हा ने यमुना को पवित्र रखा, वैसे ही हमें भी अपने जलस्रोतों और प्रकृति की रक्षा करनी है।
हम प्लास्टिक के मुकुट और कृत्रिम सजावट से बच सकते हैं, और प्राकृतिक, हस्तनिर्मित, देशी वस्त्रों का प्रयोग कर सकते हैं। इससे न केवल त्योहार की पवित्रता बढ़ेगी, बल्कि बच्चों को पर्यावरण-हितैषी आदतों का भी ज्ञान होगा।
आधुनिक कान्हा का अर्थ केवल यह नहीं कि वह स्मार्टफोन चलाना जानता है, बल्कि यह है कि वह तकनीक का सही और जिम्मेदार उपयोग करता है। वह इंटरनेट पर ज्ञान अर्जित करता है, पर साथ ही अपनी संस्कृति से भी जुड़ा रहता है। वह मित्रों के साथ ईमानदारी से पेश आता है, बड़ों का सम्मान करता है, और जरूरतमंदों की सहायता करता है। वह अपने जीवन में सत्य को आधार और प्रेम को मार्ग बनाता है।
मेरे लिए ‘मेरे कान्हा’ का अर्थ है — वह हर बच्चा जिसके भीतर मासूमियत है, जो कठिनाई में भी मुस्कुराता है, जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए साहस से काम लेता है, जो अपने आस-पास के लोगों के साथ करुणा से पेश आता है, और जो अपनी संस्कृति पर गर्व करता है। जब हम ऐसे बच्चों को गढ़ेंगे, तभी हमारा समाज सच्चे अर्थों में ‘वृंदावन’ बनेगा — प्रेम, सौहार्द और न्याय से भरा हुआ।
इस जन्माष्टमी पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने बच्चों को केवल बाहरी रूप से नहीं, बल्कि अंतरात्मा से कान्हा बनाएँगे।
हम उन्हें सिखाएँगे कि जीवन में बांसुरी की मधुरता हो, मुकुट की जिम्मेदारी हो, मोरपंख की सादगी हो, और पीताम्बर की पवित्रता हो। जब हर बच्चा इन गुणों से सजेगा, तो यह केवल उसका नहीं, बल्कि पूरे समाज का सौंदर्य होगा।
संतरा : स्वाद, सेहत और सौंदर्य का खजाना, सही समय और तरीके से खाने पर मिलेगा फायदा
सुलक्षणा पंडित को जितनी शोहरत और पहचान मिलनी चाहिए थी, उतनी नहीं मिल पाई- पूनम ढिल्लों
ज़ी स्टूडियोज़ और प्रेरणा अरोड़ा की ‘जटाधारा’ ने पहले दिन ₹1.47 करोड़ की शानदार ओपनिंग के साथ बॉक्स ऑफिस पर बनाई मजबूत पकड़
Third Party vs Comprehensive Isn't the Real Question - Here's the Hybrid Strategy That Works
अंक ज्योतिष - कैसे होते हैं मूलांक 2 के लोग? जानिए इनसे जुड़ी हर बात
आईसीसी हेडक्वार्टर पहुंचे मोहसिन नकवी, बीसीसीआई ने उठाया एशिया कप ट्रॉफी का मुद्दा
राशिफल 7 नवंबर 2025: मकर राशि वालों को मिलेगा कार्य में सम्मान, तुला राशि के लिए दिन रहेगा आत्मविश्वास से भरा
टी20 सीरीज : खराब मौसम ने रोका खेल, भारत ने महज 4.5 ओवरों में बनाए 52 रन
भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया : ब्रिस्बेन में निर्णायक टी20 मुकाबला, टीम इंडिया के पास 'गोल्डन चांस'
राशिफल 6 नवंबर 2025: मार्गशीर्ष मास का शुभ प्रारंभ, जानिए आज किस राशि पर बरसेगी किस्मत की कृपा
संजय खान की पत्नी जरीन खान के निधन पर सायरा बानो और ईशा कोप्पिकर ने व्यक्त की संवेदनाएं
चूना : कई बीमारियों का रामबाण इलाज, बिना ये जानें ना करें इस्तेमाल
'जूटोपिया 2' में 'जुडी हॉप्स' की आवाज बनेंगी श्रद्धा कपूर
सुल्तान अजलान शाह कप : भारतीय पुरुष हॉकी टीम की घोषणा, संजय संभालेंगे कमान
खेसारी के 'पत्नी को बहन' बनाने वाले बयान पर रानी चटर्जी ने कसा तंज, कहा- हमेशा विक्टिम कार्ड प्ले करते हैं
सोनम खान ने खुशी का 'राज' किया बेपर्दा, कहा- 'आजाद रहो और अपने फैसले खुद लो'
क्या आपको भी लगती है बहुत ठंड? दिनचर्या में शामिल करें ये प्राणायाम
बारिश की वजह से पांचवां टी20 रद्द, भारत ने सीरीज 2-1 से जीती
पीएम मोदी ने 'लखनऊ-सहारनपुर वंदे भारत एक्सप्रेस' का वर्चुअल उद्घाटन किया, यात्रियों ने साझा किया अनुभव

पूर्णिया में बोलीं प्रियंका गांधी वाड्रा- अधिकार मांगने वालों को पिटवाती है सरकार

शशि थरूर ने लालकृष्ण आडवाणी को बताया सच्चा राजनेता, जन्मदिन की दी बधाई
8 नवंबर 2025 का राशिफल: मिथुन राशि के लोग ना शुरू करें नए कार्य, हेल्थ का रखें ख्याल
विजय देवरकोंडा ने की 'द गर्लफ्रेंड' की तारीफ, रश्मिका मंदाना ने हार्ट इमोजी से दिया जवाब
फातिमा सना शेख ने फैंस संग शेयर की 'गुस्ताख इश्क' के अच्छे बच्चों की तस्वीर
स्ट्रिक्ट डाइट फेल? अपनी लाइफस्टाइल सुधारें, आपका वजन खुद-ब-खुद कम होगा
कियारा, प्रियंका और परिणीति चोपड़ा ने विक्की-कैटरीना को दी बधाई, सनी कौशल बोले- 'मैं चाचा बन गया'
विक्की-कैट के घर आया नन्हा राजकुमार, अब इन सेलेब्स के घर जल्द गूंजेगी किलकारी
क्या आपको भी लगती है बहुत ठंड? दिनचर्या में शामिल करें ये प्राणायाम
नेचुरोपैथी: कोल्ड हिप बाथ का आसान उपाय, हमेशा आंतों को रखे स्वस्थ
रात में पैरों के तलवों में जलन की वजह थकान नहीं, पित्त दोष बढ़ने का है संकेत
सिंघम अगेन के 1 साल पूरे! अर्जुन कपूर ने डेंजर लंका बनकर खलनायकों की परिभाषा बदल दी!
शिरीष: आयुर्वेदिक गुणों का खजाना, फायदे जानकर रह जाएंगे दंग
मौसम बदलते ही सताने लगती हैं सर्दी-खांसी, योग से बढ़ाएं रोग प्रतिरोधक क्षमता
संतरा : स्वाद, सेहत और सौंदर्य का खजाना, सही समय और तरीके से खाने पर मिलेगा फायदा
मैं चिंकी और मिंकी के साथ कोई संपर्क नहीं रखना चाहती: 'छोरिया चली गांव' फेम कृष्णा श्रॉफ
'डायबेसिटी' 21वीं सदी की बीमारी, जिससे नहीं संभले तो जीवन पर पड़ेगी भारी
जिम में वरुण धवन और विक्की कौशल की मस्ती, 'पंजाबी मुंडों' ने दिखाया अपना स्वैग
पेट की चर्बी घटाने में कारगर हैं ये 3 योगासन, घर बैठे आसान तरीके से पाएं फ्लैट टमी
पश्चिम बंगाल में मां के 12 चमत्कारी धाम, जहां हर कण में शक्ति का वास
धीरे-धीरे कम होंगे डार्क सर्कल्स, अपनाएं ये दो मिनट की असरदार फेस एक्सरसाइज
सूर्य नमस्कार से लेकर वज्रासन तक, ये आसान योगासन बनाएंगे आपकी सेहत
सर्दियों में जोड़ों की अकड़न से राहत दिलाएंगे ये 3 असरदार योगासन
नाश्ते के लिए बेस्ट है दलिया, पूरे शरीर को देगा एनर्जी का फुल डोज
मौसम के हिसाब से शरीर की सफाई जरूरी, आयुष मंत्रालय ने बताया आयुर्वेदिक तरीका
30 की उम्र के बाद खुद को रखना है फिट, तो जरूर करें ये 5 योगासन
केला ही नहीं, ये चीजें भी हैं पोटैशियम के पावरहाउस, डाइट में जरूर करें शामिल
बालों के झड़ने की समस्या से हैं परेशान, ये आयुर्वेदिक उपाय आएंगे काम
तनाव, नींद और ब्लड प्रेशर से राहत पाने का प्राकृतिक तरीका 'ध्यान', आयुष मंत्रालय ने बताए फायदे
वजन घटाने वाली दवाएं अब सिर्फ मोटापा ही नहीं, दिल की बीमारी से भी बचा सकती हैं: शोध
अचानक बढ़ जाता है ब्लड प्रेशर, आयुर्वेद में लिखे हैं 'साइलेंट किलर' से बचने के उपाय
जोड़ों में दर्द के कारण उठना-बैठना भी हो गया है मुश्किल? आजमाएं आयुर्वेदिक इलाज
खाने के बाद करें ये तीन योगासन, नींद और पाचन दोनों में होगा सुधार
केले में है गुण भरपूर, जानें इसके चौंकाने वाले फायदे
पेट दर्द, गैस या अपच, हर समस्या सिर्फ एक चम्मच अजवाइन से होगी खत्म
मोटापे का फेफड़ों पर पड़ता है असर, वो समय से पहले बूढ़े हो जाते हैं: अध्ययन
दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी से राहत दिलाएंगे ये योगासन, फंगल इन्फेक्शन भी होगा दूर
भागदौड़ भरी लाइफस्टाइल में स्वस्थ रहने के लिए अपनाएं 'प्राकृतिक नुस्खे'; वात, पित्त और कफ को ऐसे करें संतुलित
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए क्या खाना-पीना चाहिए? यहां देखें पूरी लिस्ट
सर्दी-जुकाम से लेकर त्वचा की देखभाल तक, हर दिन क्यों जरूरी है विटामिन सी
हमारी त्वचा करती है पूरे शरीर की सुरक्षा, आयुर्वेद में हैं निखारने के कारगर उपाय
नाखूनों की मजबूती और चमक के लिए करें ये पांच योगासन
देखें आज 09/11/2025 का राशिफल
Romantic things you should do during your honeymoon
Rishabh Pant to donate match fee towards rescue operations in Uttarakhand
Telegram becomes most downloaded app on Google Play Store
WhatsApp working on new mention badge features for group chatsDaily Horoscope