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हरियाणा भारतीय संस्कृति का उद्गम स्थल है-मनोहर लाल

Haryana is the source of Indian culture said cm Manohar Lal - Hisar News in Hindi

हांसी।हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि ऋषियों, मुनियों, संत महात्माओं के सिद्वांत और शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं क्योंकि ये सिद्वांत हमें हर तनाव मुक्त सफल जीवन व्यतीत करने का मार्ग प्रशस्त करते हैं।

मुख्यमंत्री हांसी में श्री 1008 भगवान पाश्र्वनाथ दिगम्बर जैन आतिशय क्षेत्र पुण्योदय तीर्थ में पंच कल्याणायक प्रतिष्ठा महोत्सव में बोल रहे थे। मुख्यमंत्री ने प्रणम्य सागर महाराज, विशाल सागर महाराज, चन्द्र सागर महाराज, वीर सागर महाराज एवं धवल सागर महाराज को श्री फल भेंटकर सत्कार किया और संतों से आशीर्वाद प्राप्त किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हरियाणा भारतीय संस्कृति का उद्गम स्थल है और यहीं पर वेदों, उपनिषदों की रचना हुई। इसके अतिरिक्त इस पवित्र भूमि पर ऐतिहासिक और पुरातात्विक व आध्यात्मिक महत्व के स्थल हैं जहां से विश्व को मानवता का संदेश मिल रहा है। श्री 1008 भगवान पाŸवनाथ दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र पुण्योदय तीर्थ हांसी भी उन तीर्थों में से एक है।

उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता और संस्कृति में धर्म का विशेष महत्व है और धार्मिक गुरूओं की शिक्षाओं, आदर्शों के कारण ही हमारा धार्मिक सदभावना विश्व में अनूठी है। स्मरण रहे कि हमारे समाज में अनेक धर्मों के अनुयायी हैं। उन्होंने कहा कि जैन धर्म केवल धार्मिक क्षेत्र में अग्रणी नहीं है बल्कि मानव कल्याण का भी आधार है। भगवान महाबीर एक अलौकिक विभूति थे जिनके आदर्शों का अनुसरण करने वाले जैन समाज का राष्ट्र के विकास और समाज के नैतिक उत्थान में अतुलनीय योगदान है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को सद्कर्म करने चाहिए और इन कर्मों से ही मनुष्य आत्मिक शांति और सुख प्राप्त होता है तथा समाज में भी श्रेष्ठ कार्य करने में सक्षम होता है। उन्होंने कहा कि शासकीय और प्रशासनिक व्यवस्था में भौतिक विकास कार्य किए जाते हैं परन्तु संस्कारवान समाज का निर्माण करने में संतों, विद्यवानों का विशेष योगदान होता है।

उन्होंने कहा कि संत महात्माओं का तो एक ही कर्म होता है कि वो अपने प्रवचनों से समाज को श्रेष्ठ बनाएं ताकि राष्ट्र को एक नई दिशा मिल सके। उन्होंने कहा कि हमारा राष्ट्र पहले विश्व गुरू था और वर्तमान में भी विश्व गुरू बनने की ओर अग्रसर है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार ने सत्तारूढ़ होते ही बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान आरम्भ किया था इससे लिंगानुपात में आशातीत सुधार हुआ है। पहले प्रदेश का लिंगानुपात 830 था जो इस अभियान के कारण अब 937 हो गया है जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि लिंगानुपात मेंं सुधार के लिए जो भी ठोस कदम उठाए जा सकते है उठाए जा रहें हैं और इसमें किसी प्रकार की कोई कोताही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में भी ऐसी व्यवस्था की जा रही है कि बच्चों को सामान्य शिक्षा के साथ-साथ उनमें संस्कार व नैतिकता की भावना भी पूर्णरूप से विकसित हो ताकि वे बेहतर नागरिक बनकर समाज व देश को एक नई दिशा प्रदान कर सकें। उन्होंने कहा कि ज्ञान से लोगों को संस्कार और स्फूर्ति मिलती है जिससे आत्मिक संतुष्टि होती है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने सत्ता संभालते ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम किया और इसमें सरकार काफी हद तक सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में और भी अधिक कठोर प्रयास किए जा रहे है ताकि भ्रष्टाचार पर शत-प्रतिशत अंकुश लगाने में सफलता प्राप्त की जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के न खाऊंगा न खाने दूंगा के सिद्वांत को पूर्णरूप से लागू करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जा रही है। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को जड़मूल से समाप्त करने के लिए व्यक्ति के मन में संस्कार और विचार सकारात्मक होने चाहिए। यदि सभी न देने न लेने का सिद्वांत अपनाए तो भ्रष्टाचार स्वयं ही समाप्त हो जाएगा।

उन्होंने बताया कि विधानसभा के सत्र में तरूण सागर महाराज के प्रवचन करवाए गए थे और हरियाणा विधानसभा देश की पहली ऐसी विधानसभा है जहां पर ऐसे प्रवचन हुए हैं। उन्होंने पंच कल्याणायक प्रतिष्ठा महोत्सव के आयोजकों को 51 लाख रूपये देने की घोषणा की। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर जैन धर्म पर आधारित पुस्तकों का विमोचन भी किया। इसके अतिरिक्त मुख्यमंत्री ने भगवान पार्श्वनाथ अतिशय क्षेत्र में आयोजित प्रदर्शनी का भी अवलोकन किया। इस प्रदर्शनी में हथ करघा से निर्मित वस्त्र प्रदर्शित थे। इस अवसर पर आयोजकों की ओर से मुख्यमंत्री को पगड़ी व पटका पहनाकर स्वागत किया व स्मृति चिन्ह प्रदान किया।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक इन्द्रेश ने कहा कि समाज में दो महान विभूतियां होती है एक संत और दूसरा विद्यवान। संत लोकवाणी से समाज का कल्याण करता है और विद्यवान अपने ज्ञान से समाज को प्रभावित करता है। विद्यवानों का सम्मान किया जाता है और संतों की पूजा की जाती है। उन्होंने जैन मुनियों को नमन किया। डा. सुरेन्द्र जैन ने अपने सम्बोधन में कहा कि जैन समाज में व्यसनों और विकारों का कोई स्थान नहीं होता। उन्होंने कहा कि पंच कल्याणायक की परम्परा बहुत ही महत्वपूर्ण परम्परा है। जैन धर्म मानव को वीर और वीर को महा मानव बनाता है इसलिए समाज के लोगों को चाहिए कि वे अपने संतों और मुनियों के दिखाए रास्ते का अनुसरण करें।

जैन मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने कहा कि भारत की संस्कृति का आधार आस्था और श्रद्वा है। इसलिए इस संस्कृति को विश्व में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। उन्होंने कहा कि इष्ट देवता की पत्थर की मूर्ति का भी पूजन किया जाता है। क्योंकि पूजा करने वाले को इस मूर्ति में अपने इष्ट देवता के दर्शन होते है। जैन मुनि वीर सागर महाराज ने अपने प्रवचनों में कहा कि सर्वकल्याण की भावना वाला व्यक्ति ही विश्व कल्याण कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री मनोहर लाल सर्वकल्याण की भावना से ही कार्य कर रहे हैं।

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