यह पूछने पर कि क्या उन्हें इस हत्याकांड में अशोक के अलावा और भी लोगों पर
शक है? इसका जवाब देते हुए वह कहते हैं, अगर मैं बोल रहा हूं कि सिर्फ
अशोक इसमें शामिल नहीं हो सकता, तो इसका मतलब यही है कि कुछ और लोग भी हैं।
स्कूल की तरफ से लीपापोती की कोशिश और पुलिस की जांच आगे न बढ़ती देखकर
हमने सर्वोच्च न्यायालय जाने का फैसला लिया। बेटे को न्याय दिलाने के लिए
कानूनी लड़ाई लड़ रहे प्रद्युम्न के पिता वरुण चंद्र ठाकुर का कहना है कि
उसके बेटे के साथ जो कुछ हुआ, वह किसी और के बच्चे के साथ न हो। इसके लिए
सख्त कानून बने, मगर यह कानून प्रद्युम्न के नाम पर ही बने, ऐसी चाहत नहीं
है। ये भी पढ़ें - सावधान हो जायें अब भ्रस्ट अफसर
प्रद्युम्न के पिता वरुण 8 सितंबर को याद करते हुए कहते हैं,
मैं बेटे को पहुंचाकर घर लौटा ही था कि मेरे पास स्कूल से फोन आया कि आपका
बेटा बाथरूम के पास गिरा हुआ पाया गया है, उसके बदन से काफी खून बह रहा है।
मुझे लगा कि चोट लगने पर थोड़ा-बहुत खून बह रहा होगा, सोचा भी नहीं था कि
मेरे बच्चे की बेरहमी से हत्या कर दी गई है। वरुण ने कहा इस पूरे मामले में
स्कूल की लापरवाही सामने आई है। स्कूल ने शुरू से ही ऐसा बर्ताव किया,
जैसे यह कोई छोटी-मोटी घटना हो। इस घटना की पूरी जवाबदेही स्कूल प्रबंधन की
बनती है। वरुण कहते हैं कि उनकी ऐसी कोई चाहत नहीं है कि उनके बेटे के नाम
पर कानून बने। वह सिर्फ यह चाहते हैं कि देश के सभी स्कूलों में बच्चे
सुरक्षित रहें, यह सुनिश्चित हो।
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