चंडीगढ़। हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री
अनिल विज ने कहा कि 7 वर्षीय बच्ची आध्या की मौत और करीब 16 लाख रुपये के
बिल मामले में की गई जांच के दौरान पाई गई अनियमितताओं के आधार पर फोर्टिस
अस्पताल गुरुग्राम के खिलाफ मामला दर्ज करवाया जाएगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
अस्पताल के ब्लड
बैंक का लाइसैंस रद्द करने के आदेश दिये गए हैं। इसके अतिरिक्त, अस्पताल की
जमीन की लीज कैंसल करने संबंधी संभावनाओं को तलाशने के लिए हरियाणा शहरी
विकास प्राधिकरण को लिखा जाएगा।
विज ने कहा कि बच्ची की मौत और अधिक बिल बनाने के लिए सरकार ने स्वास्थ्य
विभाग के अतिरिक्त महानिदेशक डॉ. राजीव वडेरा के नेतृत्व में एक कमेटी का
गठन किया गया था, जिसमें एक निदेशक, सिविल सर्जन गुरुग्राम, उपायुक्त
गुरुग्राम के प्रतिनिधि, दो वरिष्ठï बाल रोग चिकित्सक, फोरेंसिक एक्सपर्ट
तथा पीजीआईएमएस रोहतक के वरिष्ठ चिकित्सक शामिल थे। इस रिपोर्ट में अस्पताल
प्रशासन की कार्य प्रणाली में पाई गई खामियों एवं अनियमितताओं के चलते
उक्त कार्रवाई की गई है। जांच कमेटी के सामने बच्ची के अभिभावकों ने भी
अपने ब्यान दर्ज करवाये हैं।
स्वास्थ्य
मंत्री ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार बच्ची को 31 अगस्त से 14 सितंबर तक
गुरूग्राम के फोर्टिस अस्पताल के बाल आईसीयू में दाखिल करवाया गया था। इस
दौरान अस्पताल ने न केवल डायग्नोज प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया बल्कि आईएमए
के नियमों की भी अनदेखी की गई। इसके लिए एमसीआई को भी उचित कार्रवाई के
लिए लिखा गया है। उन्होंने बताया कि बच्ची के उपचार में जनेरिक और सस्ती
दवाइयों की बजाय अस्पताल ने जानबूझ कर आईएमए के नियमों का उल्लघंन करते हुए
महंगी दवाइयों का प्रयोग किया गया।
विज ने बताया कि अस्पताल ने डेंगू के मरीज संबंधी जानकारी स्थानीय सरकारी
नागरिक अस्पताल को देनी होती है परन्तु फोर्टिस अस्पताल ने ऐसा नही किया।
इसके लिए सिविल सर्जन गुरुग्राम ने अस्पताल को नोटिस जारी किया है, जिसमें
सजा का प्रावधान है। इसके अलावा अस्पताल ने मरीज को 25 बार प्लेटलेस चढ़ाए,
इसमें भी अतिरिक्त बिल बनाया गया। इस पर कार्रवाई करते हुए अस्पताल के
ब्लड बैंक का लाइसैंस रद्द करने के आदेश दिये गये हैं।
विज ने बताया कि अधिक बिल बनाने और बच्ची की हालत ठीक नहीं होने के कारण
बच्ची के अभिभावक उसे किसी अन्य अस्पताल में ले जाना चाहते थे। इस दौरान भी
अस्पताल द्वारा की गई घोर अनियमितताएं सामने आई। इसके चलते आईएमए के
निदेशानुसार मरीज की हालत के अनुसार उसे एडवांस लाईफ स्पोर्ट एंबूलैंस दी
जानी चाहिए थी। परन्तु अस्पताल ने मरीज को बेसिक लाईफ स्पोर्ट एंबूलैंस
उपलब्ध करवाई, जिसमें ऑक्सीजन एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध नहीं थी। इसके
अलावा, जांच कमेटी के सामने बच्ची के अभिभावकों ने बताया कि सहमति पत्र पर
हस्ताक्षर भी अस्पताल प्रबंधन ने फर्जी तौर पर स्वयं ही कर लिये थे।
स्वास्थ्य
मंत्री ने बताया कि फोर्टिस अस्पताल ने न केवल आइएमए, एमसीआई नियमों का
उल्लघंन किया है बल्कि उपचार के प्रोटोकॉल की भी अनदेखी की गई है। इसके
अलावा, अस्पताल प्रबंधन ने चिकित्सक की सलाह के खिलाफ छोडऩे (लामा पॉलिसी)
भी अवहेलना की, जिसके कारण बच्ची की मौत हो गई।
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