गुरुग्राम । गुरुग्राम में पुलिस ने एनसीआर टाउनशिप के उद्योग विहार में चल रहे एक अवैध कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया है। यह कॉल सेंटर एक महीने से सीमा शुल्क अधिकारियों के नाम पर अमेरिकी नागरिकों को ठग रहा था। इस मामले में खुफिया सूचना मिलने के बाद उद्योग विहार पुलिस स्टेशन की टीम ने उद्योग विहार के फेज-5 के प्लॉट नंबर 750 पर चल रहे इसके ऑफिस पर छापा मारा। यह ऑफिस 2 लोग चला रहे थे। इसमें से एक व्यक्ति राजस्थान का है और दूसरा गुजरात का है। ये दोनों कस्टम विभाग के अधिकारी बनकर अमेरिकी नागरिकों को धमकी देते थे कि उनके नाम पर अवैध शराब और ड्रग्स मिले हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पुलिस ने मंगलवार को कहा कि फर्जी कॉल सेंटर के कर्मचारी इन समस्याओं को सुलझाने के बहाने पीड़ितों के सोशल सिक्योरिटी नंबर (एसएसएन) ले लेते थे और फिर ई-गिफ्ट कार्ड आदि के जरिए अपनी सेवाओं के बदले पैसे वसूलते थे। एसएसएन, 9 अंकों की ऐसी संख्या होती है जिसे अमेरिकी सरकार अपने सभी नागरिकों के लिए जारी करती है। सरकार इस नंबर का उपयोग निवासियों की जीवन भर की कमाई और काम करने वालों सालों की संख्या पर नजर रखने के लिए करती है।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने इस मामले में एक आरोपी रंजीत सिंह राणा को गिरफ्तार किया है और मौके से कुछ इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स जब्त किए हैं। राणा, राजस्थान के उदयपुर का रहने वाला है। वहीं सेंटर का दूसरा मालिक भावेश पंखी है, जो कि फरार है।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने इस फर्जी कॉल सेंटर में काम करने वाले महिला-पुरुष कर्मचारियों को अमेरिकी नागरिकों के साथ बातचीत करते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। हालांकि, पूछताछ के बाद पुलिस ने कर्मचारियों को छोड़ दिया है।
उद्योग विहार के एसएचओ सतबीर सिंह ने आईएएनएस को बताया, "इस फर्जी कॉल सेंटर ने एसएसएन-संबंधित समस्याओं को हल करने के बहाने कई अमेरिकी नागरिकों को धोखा दिया। इस कॉल सेंटर में कई युवा काम कर रहे थे। साथ ही सेंटर के पास डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (डीओटी) का लाइसेंस भी नहीं था। पूछताछ के दौरान आरोपी ने खुलासा किया है कि वे एसएसएन वेरिफिकेशन के नाम पर अमेरिकी नागरिकों से बात करके उनसे ऑनलाइन पेमेंट मोड के जरिए पैसे वसूलते थे।"
उन्होंने आगे कहा, "मामले की जांच चल रही है। आरोपी फर्जी कॉल सेंटर का संचालन कैसे कर रहा था, इसकी भी जांच की जा रही है। रैकेट से और भी लोग जुड़े हो सकते हैं।"
मामले में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और आईटी अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।
--आईएएनएस
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