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फतेहाबाद। हरियाणा शिक्षा बोर्ड की लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। बोर्ड ने लापरवाही बरतते हुए होनहार छात्रा को अंग्रेजी के पेपर में 60 की जगह 7 अंक दे दिए गए। हालांकि छात्रा के रिचेकिंग कराने पर बोर्ड ने अपनी गलती को दुरुस्त कर लिया, लेकिन इससे बोर्ड की लापरवाही कम नहीं हो सकती। बोर्ड की लापरवाही से एक छात्रा का भविष्य खराब हो जाता। अब छात्रा के परिजनों ने बोर्ड से रिचेकिंग में हुए खर्च का हर्जाना मांगा है। उनका कहना है कि इस काम में उनकी तीन तीन की मजदूरी चली गई। बिटिया को मानसिक परेशानी भी झेलनी पड़ी।
मामले के अनुसार फतेहाबाद के गांव भिरडाना में रहने वाली छात्रा सुषमा राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में पढ़ती है। वह स्कूल की मेधावी छात्रा है। उसने 10वीं बोर्ड का एग्जाम दिया था। उसके परीक्षा परिणाम में बोर्ड ने बड़ी लापरवाही बरतते हुए अंग्रेजी विषय में सिर्फ 7 अंक दे दिए। यह देख सुषमा को विश्वास ही नहीं हुआ। वह कई दिन तक बहुत परेशान रही। बाद में उसने रिचेकिंग का फार्म भरा। बोर्ड ने सुषमा की कॉपी की फिर से जांच की तो बोर्ड से हुई बड़ी भूल का पता चला। रिचेकिंग में उसके नंबर 7 से बढ़कर 60 हो गए।
छात्र ने बताया कि उसके पिता मजदूरी करते हैं। रिचेकिंग में उसके करीब 800 रुपए खर्च हुए हैं। इतनी राशि खर्च करने का
अर्थ है कि उसके पिता की तीन दिन की मजदूरी खर्च हो गई। अब छात्रा ने बोर्ड से मांग की है कि रिचेकिंग फीस पर खर्च
की गई 800 रुपए उसे लौटाए जाएं। छात्रा का कहना है कि गलती उसकी
नहीं, बल्कि शिक्षा बोर्ड की थी। इसका खमियाजा उसे भुगतना पडा़
है। ऐसे में बोर्ड उससे ली गई फीस को वापस करे।
छात्रा के
पिता का कहना है कि अंग्रेजी में इतने कम नंबर आने से उनकी बेटी काफी दिनों तक डिप्रेशन में भी
रही। उन्होंने कहा कि सरकार बेटी बचाओ बेटी पढा़ओ का नारा देती है और वह
बेटियों को पढा़ भी रहे हैं, लेकिन फिर भी बेटियों को इस तरह की लापरवाही के
चलते परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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