फतेहाबाद । यदि सरकार ने सम्मानजनक न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये नहीं दिया
और अन्य मांगों को नहीं माना तो 12 फरवरी को हरियाणा की 22 हजार आशा वर्कर
मुख्यमंत्री का करनाल में घेराव करेंगी। इसके अलावा आशा वर्करों द्वारा
हड़ताल जारी रखते हुए गांव-गांव में जनसभाएं करते हुए पंचायतों,
नगरपालिकाओं से समर्थन में प्रस्ताव पास करवाकर सरकार के पास भेजे जाएंगे।
यह ऐलान आशा वर्कर्स यूनियन की जिला प्रधान शीला शक्करपुरा व जिला सहसचिव
अनिता इंदाछुई ने किया। आशा वर्करों द्वारा आज 15वें दिन भी नागरिक अस्पताल
के बाहर धरना-प्रदर्शन जारी रहा जिसकी अध्यक्षता सुमन धारनियां व सुनीता
भोजराज ने संयुक्त रूप से की और संचालन मनीता बनमंदौरी ने किया। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
धरने को
संबोधित करते हुए शीला शक्करपुरा, अनिता इंदाछुई, सुनीता भोजराज, सुमन
धारनियां, मनीता बनमंदौरी, ब्रह्मी सरवरपुर, सरीना पीलीमंदौरी, वीना सहनाल,
सुलोचना अकांवाली ने कहा कि हरियाणा में स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है।
अस्पतालों में ना डाक्टर है और ना पूरा स्टॉफ है और दवाईयां, मशीनों,
यंत्रों, औजारों का तो ओर भी बुरा हाल है। उन्होंने कहा कि सरकार जनता को
स्वास्थ्य सेवाएं देने से हाथ पीछे खींच रही है और पीपीपी के नाम पर
निजीकरण करके स्वास्थ्य सेवाओं से सरकार पल्ला झाड़ रही है। उन्होंने कहा
कि उन सभी मुद्दों और आशा वर्करों को स्थाई कर्मचारी का दर्जा देने,
न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये देने व अन्य मांगों पर जिलाभर के गांवों में
जनसभाएं करके सरकार की नीतियों की पोल खोलेंगे और ग्राम पंचायतों व
नगरपालिकाओं से आंदोलन के समर्थन में प्रस्ताव पास करवाकर सरकार को दिए
जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार ने कल जेल भरो आंदोलन में महिलाओं की ताकत
देख ली होगी। अब शोषण व अन्याय के खिलाफ शुरू किया गया संघर्ष ओर तेज
करेंगे।
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