चंडीगढ़। हरियाणा के पर्यटन मंत्री कंवर पाल ने बताया कि हरियाणा के फरीदाबाद में प्रतिवर्ष की भांति एक से 17 फरवरी, 2020 तक आयोजित किए जाने वाले सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में इस बार उज्बेकिस्तान पार्टनर-कंट्री के रूप में भागीदारी करेगा। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश थीम-स्टेट के तौर पर हिस्सा लेगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने बताया कि पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किए जाने वाले इस मेला की तैयारियों के निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि पार्टनर कंट्री उज्बेकिस्तान 1991 तक सोवियत संघ का एक घटक था। उज़्बेकिस्तान के प्रमुख शहरों में वहां की राजधानी ताशकंद के अलावा समरकंद तथा बुखारा की विशेष संस्कृति के भी मेले में दर्शन होंगे।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि थीम-स्टेट के तौर पर हिमाचल प्रदेश चुने जाने के कारण इस बार सूरजकुंड का मेला परिसर पूरी तरह से हिमाचल के रंग में रंगा जाएगा। उन्होंने बताया कि 35वें इंटरनेशनल सूरजकुंड क्राफ्ट मेले में 23 साल बाद मैक्लॉडगंज और मनाली नजर आएंगे। सूरजकुंड मेले में हिमाचल को 1996 में थीम-स्टेट बनाया गया था। इसके बाद अब 2020 में आयोजित होने वाले मेले के लिए हिमाचल को थीम-स्टेट बनाया गया है। उन्होंने बताया कि मेला परिसर में बनाए जाने वाले अपना घर में हिमाचल राज्य से एक परिवार आकर ठहरेगा, जो अपनी संस्कृति को प्रदर्शित करेगा।
उन्होंने बताया कि हिमाचल के कलाकार आकर मेला परिसर को सजाने का काम करेंगे। हिमाचल की पहचान दुनिया भर में अपने पर्यटन स्थलों के लिए है। यहां पर दुनिया भर से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। ऐसे में मेले में हिमाचल प्रदेश के पर्यटन स्थलों को प्रमुख रूप से प्रदर्शित किया जाएगा। पूरे मेला परिसर में हिमाचल के 10 से अधिक पर्यटन स्थलों को तैयार किया जाएगा। इन पर्यटन स्थलों में मैक्लॉडगंज और मनाली के अलावा चंबा घाटी, कुल्लू मनाली, धर्मशाला, कांगड़ा भी प्रदर्शित किए जाएंगे। उन्होंने बताया कि हिमाचल के पहाड़ी लोकनृत्य भी काफी प्रसिद्ध हैं। मेले की चौपाल पर जहां हिमाचल के पहाड़ी लोकनृत्यों को पेश किया जाएगा वहीं हिमाचल के 20 से अधिक तरह के खानपान की स्टाल लगाई जाएगी।
कंवर पाल ने बताया कि सूरजकुंड क्राफ्ट मेला शिल्पकला के प्रदर्शन के लिए विश्व में प्रसिद्ध है। उन्होंने बताया कि पर्यटक इस मेला में जहां भारत के सभी राज्यों के अच्छे शिल्प उत्पादों को एक ही स्थान पर देख व खरीद सकते हैं वहीं पड़ौसी देशों की संस्कृति की भी यहां महक ली जा सकती है। सूरजकुंड मेले में शिल्पकारों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय खरीददारों तक पहुंच प्राप्त करने के मदद मिलती है।
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