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शहीद लांस नायक विक्रमजीत को हजारों लोगों ने दी अश्रुपूर्ण विदाई

शहीद का पार्थिव शरीर बुधवार सांय लगभग 6.00 बजे एयरफोर्स स्टेशन अम्बाला छावनी पंहुचा था और रात को पार्थिव शरीर सेना अस्पताल के मोर्चरी हाउस में रखा गया था। आज प्रात: 8 बजे फूलों से सजी हुई सेना की गाड़ी व अन्य वाहनों के काफिले के रूप में तिरंगे में लिपटे शहीद के पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाया गया। गांव के प्रवेश मार्ग पर ही हजारों युवा, महिला व पुरूष शहीद के सम्मान के लिए उपस्थित थे और काफिल पंहुचते ही पूरा वातावरण भारत माता की जाय, विक्रमजीत सिंह अमर रहे, पाकिस्तान मुर्दाबाद और बोले सो निहार-सतश्री अकाल के गगनभेदी जयघोषों से गूंज उठा। शहीद के सम्मान में न केवल पूरा गांव बल्कि आस-पास के क्षेत्रों के लोग, जिला व पुलिस प्रशासन भी पहले से तैनात था। शहीद के पार्थिव शरीर को उनके घर ले जाया गया, जहां परिजनो ने अंतिम दर्शन किए और वहां उपस्थित हजारों की भीड़ में हर आंख नम थी। इसके उपरांत मेजर सलीम सय्यद की अगुवाई में सेना के पाईपर बैंड के साथ पार्थिव शरीर को गांव में गुरूद्वारा साहिब ले जाया गया और वहां से शमशान भूमि में संस्कार किया गया। संस्कार के समय पिता बलजिन्द्र सिंह, माता कमलेश कौर और छोटा भाई मोनू सिंह शोक में होने के बावजूद विक्रमजीत सिंह की शहादत पर गर्व महसूस कर रहे थे और सभी गांव वासियों ने विक्रमजीत सिंह की शहादत पर गर्व करते हुए कहा कि बचपन से ही देश सेवा की इच्छा रखने वाले इस युवा ने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए शहादत हासिल की है। यह जिला का एक ऐसा गांव है, जहां प्रत्येक परिवार से लगभग एक सदस्य सेना में सेवारत है और कारगिल युद्ध में भी इस गांव से मेजर गुरप्रीत सिंह ने शहादत हासिल की थी। उसके उपरांत इसी गांव के दो अन्य सैनिक हरजिन्द्र सिंह व विनोद सिंह ने भी देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्यौछावर किए हैं।

शहीद के दादा भी कर चुके हैं सेना में रहकर देश की सेवा

विक्रमजीत सिंह एक साधारण किसान परिवार से सम्बन्धित थे और उनके पिता बलजिन्द्र सिंह ने बड़ी मेहनत और चुनौतियों का सामना करते हुए परिवार का पालन-पोषण किया। शहीद के दादा करतार सिंह सेना में सेवा कर चुके हैं और उन्होंने ने अपने दोनो पौत्रों विक्रमजीत सिंह व मोनू सिंह को सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित किया। विक्रमजीत सिंह 5 वर्ष पूर्व सेना में भर्ती हुए थे और इसी वर्ष 15 जनवरी को यमुनानगर जिला से सम्बन्धित हरप्रीत कौर से उनकी शादी हुई थी। उनके छोटे भाई मोनू सिंह भी सेना में हैं और इस समय असम में तैनात हैं। शहीद की माता कमलेश कौर एक धार्मिक विचारों की महिला हैं और उन्होंने अपने बेटों को बचपन से ही देश सेवा के लिए प्रेरित किया।

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Web Title-Thousands of people gave a tears to martyr Lance Naik Vikramajit
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