चंडीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चंडीगढ़ स्थित आवास से ऑडियो कांफ्रेंस के जरिए "मेरा पानी-मेरी विरासत योजना" के लाभार्थियों से संवाद किया। इस दौरान उन्होंने जल संरक्षण में योगदान देने वाले किसानों को अमृत क्रांतिकारी मित्र की उपाधि देते हुए कहाकि धरती को जलसंकट से बचाने की दिशा में सरकार कई कदम उठा रही है, सभी को इसमें साथ देना चाहिए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने जागरूक किसानों द्वारा इस योजना को अपनाकर लाखों गैलन पानी बचाने की सराहना करते हुए कहा कि नदियां सूख रही हैं। हरियाणा में भी भूजल स्तर लगातार गिरने से 36 ब्लॉक डार्क जोन में आ गए हैं।
हरियाणा जल संसाधन प्राधिकरण ने भूजल उपलब्धता की ग्रामवार रिपोर्ट तैयार की है। यह रिपोर्ट दर्शाती है कि प्रदेश के कुल 7,287 गांवों में से 3,041 गांव पानी की कमी का सामना कर रहे हैं। इनमें से 1,948 गांवों में भूजल गंभीर स्तर तक नीचे चला गया है। जल की कमी इसी तरह बढ़ती रही तो अन्न उपजाना तो दूर पीने के लिए पानी भी नहीं बचेगा और आने वाली पीढ़ियों को भयंकर सूखे की स्थिति का सामना करना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि हमने हरियाणा में ‘‘मेरा पानी मेरी विरासत’’ का शुभारंभ 6 मई, 2020 को किया था। इस योजना में अधिक पानी से उगने वाली धान की फसल के स्थान पर खरीफ सीजन-2020 में कम पानी से उगने वाली फसलें जैसे कि मक्का, कपास, बाजरा, दलहन, सब्जियां और फल लगाने पर बल दिया है। खरीफ सीजन-2021 में हमने मक्का, कपास, तिलहन, दलहन, प्याज, चारे के साथ-साथ खाली रखी गई कृषि भूमि को भी शामिल किया। खरीफ सीजन-2022 में इनके साथ पॉपलर व सफेदा को शामिल किया गया।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि फसल विविधिकरण करने वाले किसानों को इस योजना के तहत 7,000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। यह प्रोत्साहन राशि दो किस्तों में सीधे बैंक खातों में दी गई है। पहली किस्त मेरा पानी-मेरी विरासत पोर्टल पर पंजीकरण के समय 2,000 रुपए और दूसरी किस्त फसल पकने पर 5,000 रुपए दी जाती है। हमारा लक्ष्य हर वर्ष धान के रकबे में से 2 लाख 50 हजार हैक्टेयर भूमि पर वैकल्पिक फसलों की बुआई करवाने का है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव डी.एस ढेसी, प्रधान सचिव वी. उमाशंकर, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुमिता मिश्रा, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव एवं सूचना, लोकसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग के महानिदेशक डॉ. अमित अग्रवाल, उप प्रधान सचिव के. एम पाण्डुरंग, कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के निदेशक नरहरि सिंह बांगड़, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार भारत भूषण भारती भी उपस्थित थे।
सूक्ष्म सिंचाई से 2 लाख एकड़ में कराएंगे गन्ने की खेतीः
मुख्यमंत्री ने कहाकि पानी के हवा में वाष्पीकरण और भूमि में रिसाव को रोकने के लिए ‘भूमिगत पाइपलाइन स्कीम’ के तहत नालों के स्थान पर पाइप लाइनें बिछाई जाती हैं। इसमें किसानों को 10,000 रुपए प्रति एकड़, अधिकतम 60,000 रुपए प्रति किसान अनुदान राशि दी जा रही है। अब तक 1957 किसानों को 8 करोड़ 34 लाख रुपए की राशि अनुदान के रूप में दी गई है। अगले 3 वर्षों में सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली से गन्ने की खेती के तहत 2 लाख एकड़ क्षेत्र को कवर करने का लक्ष्य भी रखा है। योजना के तहत 600 करोड़ रुपए की लागत से महेंद्रगढ़, चरखी-दादरी, भिवानी और फतेहाबाद जिलों के 9 एसटीपी से उपचारित जल का सिंचाई के लिए उपयोग किया जा रहा है। सूक्ष्म सिंचाई के माध्यम से उपचारित अपशिष्ट जल का उपयोग करने के लिए लगभग 500 करोड़ रुपए लागत की 22 परियोजनाओं पर काम चल रहा है, जो जून 2024 तक पूरी कर ली जाएंगी।
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