चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार प्रदेश में सरकारी शिक्षा व्यवस्था का दिवाला निकालने में जुटी हुई है। स्कूल से लेकर यूनिवर्सिटी तक और साथ ही तकनीकी शिक्षा के सिस्टम को ध्वस्त करने की पुरजोर कोशिश कर जा रही है। न तो स्कूलों में शिक्षकों के पद भरे हुए हैं, न ही सरकारी कॉलेजों में और यूनिवर्सिटी में। आईटीआई व बहुतकनीकी कॉलेजों का तो और भी बुरा हाल है।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि सोनीपत जिले के स्कूलों में शिक्षा विभाग के अफसरों ने अपनी आंखों से देखा कि छात्रों के पास उस क्लास तक का भी ज्ञान नहीं है, जिसमें वे पढ़ रहे हैं। इससे पता चलता है कि सरकारी स्कूलों का भट्टा बैठाने में भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार पूरी तन्मयता से लगी हुई है। सरकार का पढ़ाई को लेकर बच्चों की नींव मजबूत करने की ओर कोई ध्यान नहीं है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में 28 हजार से अधिक पद खाली पड़े हुए हैं। इससे साफ है कि बच्चों को शिक्षित करने के लिए नई भर्ती करने की बजाए राज्य सरकार देर-सवेर इन पदों को खत्म करने की साजिश रच सकती है। नियमित भर्ती की बजाए हरियाणा कौशल रोजगार निगम के मार्फत शिक्षक भर्ती करने की बात को पहले भी कही जा चुकी है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि सरकारी कॉलेजों में प्रोफेसर व असिस्टेंट प्रोफेसर के 60 प्रतिशत पद खाली पड़े हैं। यूनिवर्सिटी का तो और भी बुरा हाल है। अब यूजीसी ने जिस तरह से 17 कोर्स में ऑनलाइन और डिस्टेंस की पढ़ाई पर रोक लगा दी है, उससे प्रदेश के लाखों युवा अपनी शैक्षणिक योग्यता आगे बढ़ाने से वंचित रह जाएंगे। इनमें ज्यादातर वही हैं, जो पारिवारिक मजबूरियों या फिर नौकरी पेशा होने के कारण नियमित कक्षाओं में शिरकत नहीं कर सकते।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिन आईटीआई में युवाओं को कौशल विकास में पारंगत करने के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं, वहां आज भी 57 प्रतिशत स्टाफ की कमी बनी हुई है। सरकार के दावों का पता सिर्फ इसी बात से भी चलता है कि टेक्निकल ट्रेनिंग सेंटर में से अधिकतर में मुखिया ही नहीं है। प्रदेश के 22 जिलों में से एक में भी अप्रेंटिसशिप प्लेसमेंट ऑफिसर नहीं है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि राजकीय बहुतकनीकी संस्थानों की हालत और भी अधिक खराब है। 26 संस्थान में से 21 में स्थाई प्राचार्य तक नहीं है। इससे पता चलता है कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की मंशा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा को समाप्त करने की है।
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