चंडीगढ़। हरियाणा सरकार द्वारा कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के पास-आउट विद्यार्थियों को उनकी संकायों के अनुसार विभिन्न सरकारी गतिविधियों में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है ताकि उनकी क्षमताओं का उचित उपयोग किया जा सके और उन्हें रोजगार का अनुभव प्रदान किया जा सके।
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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने आज यहां हरियाणा राज्य उच्चत्तर शिक्षा परिषद (एचएसएचईसी) और हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय (एचवीएसयू) द्वारा संयुक्त रूप से नैतिक मूल्यों और उन्नत रोजगार क्षमता के लिए उच्चत्तर शिक्षा पर आयोजित कुलपतियों के एक सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए यह जानकारी दी। इस अवसर पर शिक्षा मंत्री राम बिलास शर्मा भी उपस्थित थे। इस सम्मेलन में 50 विश्वविद्यालयों के लगभग 30 कुलपतियों और शिक्षाविदों ने भाग लिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार द्वारा युवा ऊर्जा को उचित दिशा दी जा रही है और विद्यार्थियों को अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने संकायों के अनुसार सर्वेक्षण, विभागों के विभिन्न विकास कार्यों के अनुमान और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार करने जैसे विभिन्न कार्यों में लगाया जाएगा।
गतिविधियां, जिनमें उन्हें शामिल किया जाएगा, का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश के लगभग 14,000 तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए तालाब प्रबंधन प्राधिकरण का गठन किया है और इन तालाबों का व्यापक सर्वेक्षण कार्य सिविल और मैकेनिकल इंजीनियर्स को सौंपा जाएगा। इस योजना के तहत, तालाबों में अत्यधिक बहने वाले पानी का दोहन करके सोलर पम्प सेटों के माध्यम से सिंचाई के उद्देश्य के लिए इसका उपयोग किया जाएगा, जबकि जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा शोधित जल का उपयोग पेयजल के लिए किया जाएगा।
विद्यार्थियों को शिक्षा पूरी करने के उपरांत रोजगार के योग्य बनाने की आवश्यकता पर बल देते हुए मनोहर लाल ने कहा कि शिक्षा के अलावा, अंतिम वर्ष के विद्यार्थियों को कौशल विकास में प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार और विश्वविद्यालयों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि वे पास-आउट विद्यार्थियों के लिए किसी भी क्षेत्र में रोजगार दिलाना सुनिश्चित करेंगे। उन्होंने उन्हें अपने पिछले पांच वर्षों के पूर्व छात्रों की सूची तैयार करने और बेरोजगारों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान करके उनको रोजगार प्राप्त करने में सहायता करने के भी निर्देश दिए ।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार ने भी शिक्षकों को सम्मान दिया है। इससे पूर्व, शिक्षकों में अपने स्थानांतरण के बारे में भय की भावना व्याप्त थी। लेकिन अब सरकार ने पारदर्शी ऑनलाइन अध्यापक स्थानांतरण नीति लागू की है, जिसके तहत 93 प्रतिशत शिक्षक अपने पहले, दूसरे और तीसरे विकल्प के अनुसार स्टेशन मिलने से संतुष्ट हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पास-आउट विद्यार्थियों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। सक्षम युवा स्कीम लागू की गई है, जिसके तहत शिक्षित बेरोजगार युवाओं को 100 घंटे प्रतिदिन कार्य के एवज में 3,000 रुपये के बेरोजगारी भत्ते सहित 9000 रुपये प्रति माह प्रदान किया जाता है।
समाज में शिक्षा के बारे में और अधिक जागरूकता उत्पन्न करने की आवश्यकता पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यद्यपि, प्रत्येक शैक्षणिक संस्थान अपना स्वयं का एजेंडा निर्धारित करता है, फिर भी उच्चत्तर शिक्षा में नैतिक मूल्यों और उन्नत रोजगार क्षमता उनका लक्ष्य होना चाहिए।
उच्चत्तर शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव, ज्योति अरोड़ा ने कहा कि प्रदेश में सभी उत्कृष्ट महाविद्यालयों में रोजगारोन्नमुखी कोर्सों के पाठ्यक्रमों को शामिल किया गया है। उन्होंने कहा कि विज्ञान के विद्यार्थियों के लिए भी इसी अवधारणा को लागू किया जाएगा ताकि उन्हें इन कोर्सों को अलग से न करना पड़े। उन्होंने कहा कि हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की सहायता से 5000 विद्यार्थियों को विभिन्न उद्योगों में नौकरियां प्रदान की गई है। इस वर्ष, विद्यार्थियों को शत-प्रतिशत प्लेसमेंट प्रदान करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि इसके लिए 150 उद्योगों के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
इससे पूर्व, कौशल विकास एवं औद्योगिक प्रशिक्षण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, टी.सी.गुप्ता ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान कौशल विकास के क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमुत्री के कार्यालय में एक अलग से सक्षम सेल की स्थापना की गई है। इसके अतिरिक्त, हरियाणा विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय की स्थापना की गई है। इस विश्वविद्यालय ने पिछले एक वर्ष के दौरान न केवल कौशल विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य किया है बल्कि अनुसंधान में भी उत्कृष्ट कार्य किया है।
हरियाणा राज्य उच्चत्तर शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रोफेसर बी.के. कुथियाला ने कहा कि इसका उद्देश्य युवाओं के जीवन को सार्थक बनाना होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा नैतिक मूल्यों पर आधारित होनी चाहिए, जो देश, राज्य और समाज के विकास को अगे्रसित करे।
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