चंडीगढ़। राज्य में पारदर्शिता बढ़ाने और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से यह कदम उठाया गया है। इस लेख में हम इस सूची के मुख्य बिंदुओं, संबंधित आंकड़ों और सरकारी प्रयासों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
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कैथल जिला : भ्रष्टाचार में अग्रणीकैथल जिले में भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें से प्रमुख जिला परिषद में 7 करोड़ रुपये का सफाई घोटाला है। इस मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने कार्यकारी अभियंता, जेई और अकाउंटेंट समेत चार ठेकेदारों को गिरफ्तार किया था। आरोपियों ने जिले के 151 गांवों में सफाई व्यवस्था के फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी धन का दुरुपयोग किया।इसके अतिरिक्त, वर्ष 2024 में कैथल विजिलेंस ने कुल 18 रिश्वतखोरों को गिरफ्तार किया, जिनमें से अधिकांश पंचायती राज विभाग से संबंधित थे। इससे पता चलता है कि जिले में भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी हैं और सरकारी अधिकारी और कर्मचारी इसमें लिप्त पाए गए हैं।
सोनीपत जिला : दूसरे स्थानसोनीपत जिले में भी भ्रष्टाचार के कई मामले सामने आए हैं। नवंबर 2024 में लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने एक निर्माण कंपनी को 50 लाख रुपये का भुगतान किया, जबकि जमीन पर दीवार का निर्माण केवल कागजों पर हुआ था। इस मामले में अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया।साथ ही, सितंबर 2024 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) के दो अधिकारियों को 2 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया। यह घटना दर्शाती है कि सोनीपत में भी भ्रष्टाचार की समस्या गंभीर है।
सरकारी प्रयास और पारदर्शिता : हरियाणा सरकार ने भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की सक्रियता से भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की गिरफ्तारी हो रही है। इसके अलावा सरकार ने भ्रष्टाचार विरोधी कानूनों को कड़ा किया है और लोकायुक्त की भूमिका को मजबूत किया है। कैथल और सोनीपत जिलों में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। हालांकि, सरकार के सक्रिय प्रयासों से भ्रष्टाचार पर नियंत्रण की उम्मीद है।
इस दिशा में जनभागीदारी और जागरूकता भी अहम भूमिका निभा सकती है। पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा ताकि हरियाणा राज्य में सुशासन स्थापित हो सके।
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