चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव कुमारी सैलजा ने कहा कि नूंह की घटना भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार के फेल्योर होने का परिणाम है। प्रदेश सरकार और उसकी एजेंसियां पूरी तरह नाकाम साबित हुई हैं। लोगों की जान-माल की सुरक्षा के लिए न तो पहले से सरकार के स्तर पर कोई कदम उठाए गए और न ही नूंह की घटना के बाद में किसी तरह की सक्रियता दिखाई गई। इस पूरे मामले की जांच हाईकोर्ट के जस्टिस की निगरानी में होनी चाहिए।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि 2014 में भाजपा की सरकार बनने के बाद प्रदेश में इतने कांड हो चुके हैं। जितने हरियाणा बनने के बाद से लेकर 2014 के बीच के सालों में भी नहीं हुए। भाजपा के शासनकाल में हरियाणा में इतने लोगों की जान विभिन्न आंदोलन या घटनाओं में जा चुकी है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। सरकार में संवेदना की कमी है, इसलिए बार-बार घटित हो रही घटनाओं में लोगों को अपनों को खोना पड़ रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार के पास तमाम तरह के सूचना तंत्र होते हैं। कई तरह के नेटवर्क होते हैं, लेकिन सरकार नूंह के मामले में अंजान बनी रही। जब नूंह में बवाल हो गया तो भी सरकार के स्तर पर कोई ऐसा कदम नहीं उठाया गया, जिससे इसे और अधिक फैलने से रोका जा सके। इसी वजह से सोहना व गुडग़ांव में हालत बिगडऩे में देर नहीं लगी।
उन्होंने कहा है कि भाजपा को जनता की लाशों पर राजनीति बंद करनी चाहिए और कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने के बारे में सोचना चाहिए। नूंह और गुडग़ांव जिले में जो भी घटनाएं पिछले 24 घंटे के दौरान घटी, उनकी जांच के लिए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के जस्टिस से जांच कराई जानी चाहिए। क्योंकि, सरकार के स्तर पर न तो निष्पक्ष जांच हो सकती है और न ही घटना के पीछे के असल कारण सामने आ सकते हैं।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने प्रदेश के लोगों से अपील करते हुए कहाकि आपस में भाईचारा बनाए रखें। किसी के भी बहकावे में न आएं और संकट के समय एक-दूसरे का सहारा बनें, मदद करें। किसी भी साजिश में न फंसे। उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के समय प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की भी कोई चीज नहीं थी।
सरकार की खुफिया एजेंसी भी फेल हो गई थी जिसके कारण प्रदेश की जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि इस सरकार के कार्यकाल में कानून व्यवस्था सदा बिगड़ी रही, लोग कानून को हाथ में लेकर खेलते रहे। सरकार अपनी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती।
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