चंडीगढ़। पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार हरियाणा रोडवेज के निजीकरण में तेजी ला रही है। निजी ऑपरेटरों को बस परमिट दिए जाने की प्रक्रिया अभी चल ही रही थी कि इस बीच ठेके पर कंडक्टर भर्ती का ऐलान कर दिया है। यह भर्ती हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) के जरिए की जाएगी। इस भर्ती को डिपो स्तर पर करने की तैयारी है, ताकि विरोध के स्वर तेज होने से पहले ही दबाए जा सकें।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि हरियाणा रोडवेज की गिनती देश की सबसे अच्छी सार्वजनिक परिवहन सेवा के तौर पर होती रही है। कई साल से रोडवेज को अपनी श्रेष्ठ सेवाओं के लिए पहला स्थान और अवार्ड भी देश में मिला है। इसके बावजूद रोडवेज में स्टाफ की कमी दूर करने का लेकर गठबंधन सरकार गंभीर नहीं है। खाली पड़े पदों को स्थाई भर्ती से भरने की बजाए ठेके पर भरने की योजना बनाई गई है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एचकेआरएन के जरिए 280 कंडक्टर की भर्ती एक प्रयोग की तरह करने का फैसला लिया गया है। सरकार ने यह भर्ती डिपो स्तर पर इसलिए ही करवाने का ऐलान किया है, ताकि कर्मियों के विरोध का स्तर देखा भी जा सके और जरूरत पड़ने पर उसे दबाया भी जा सके। कंडक्टरों की इस भर्ती में सरकार कामयाब हो गई तो फिर आने वाले समय में रोडवेज में ड्राइवर व अन्य पदों पर भी नियमित भर्ती की बजाए एचकेआरएन के जरिए ही भर्ती की जाएंगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार का ध्यान रोडवेज के बेड़े में नई बसें शामिल करने की ओर न होकर निजी परमिट जारी करने में है। इसलिए ही पुरानी हो चुकी बसों को चलाने से ब्रेकडाउन के मामले बढ़ रहे हैं, जबकि मेंटेनेंस का खर्च भी बढ़ रहा है। इन्हीं सब पॉइंट पर पीएसी भी सवाल खड़े कर चुकी है।
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नई बसें न होने व लचर प्रबंधन के कारण ही बसें अपने लक्ष्य से कम दौड़ रही हैं। साल 2015-16 में प्रति किलोमीटर घाटा 10.61 रुपये था, जो 5 साल में बढक़र 23.62 रुपये हो चुका है। जबकि, डीजल खर्च भी अनुमान के मुकाबले 39.86 लाख लीटर अधिक रहा। इसी तरह ब्रेकडाउन भी बार-बार होता रहा, जिससे बसें लक्ष्य के मुकाबले 7 करोड़ किलोमीटर कम दौड़ सकी।
कुमारी सैलजा ने कहा कि अगर गठबंधन सरकार को हरियाणा रोडवेज को घाटे से उबारना चाहती है तो बेड़े में कम से कम 5 हजार नई बसों को शामिल करना चाहिए। साथ ही खाली पड़े तमाम पदों पर नियमित भर्ती करनी चाहिए।
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