चंडीगढ़। शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) ने शनिवार को केंद्र-शासित क्षेत्र (यूटी) के प्रशासन से तुरंत उस अधिसूचना को वापस लेने का आग्रह किया है, जिसमें पगड़ीधारी सिख महिलाओं को छोड़कर बाकी सभी सिख महिलाओं के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य कर दिया गया है। अकाली दल के प्रवक्ता दलजीत सिंह चीमा ने कहा, "एसएडी चंडीगढ़ प्रशासन से मोटर वाहन नियम में मनमाने ढंग से संशोधन और एक सिख महिला की परिभाषा को अपमानजनक ढंग से बदलने के फैसले को उलटने का आग्रह करता है।" ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
चंडीगढ़ प्रशासन के इस कदम से पूरे सिख समुदाय की धार्मिक भावना आहत होने की बात करते हुए चीमा ने सिख महिलाओं समेत सभी बगैर-पगड़ी वाली महिलाओं के लिए दोपहिया वाहनों पर हेलमेट पहनने को अनिवार्य करने पर सिख महिलाओं की परिभाषा बदलने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा, "केंद्र शासित क्षेत्र को किसी सिख महिला की पहचान परिभाषित या फिर से परिभाषित करने और कानून की नजर में किसी के सिख महिला होने या नहीं होने का पता लगाने का कोई अधिकार नहीं है।"
चीमा ने कहा, "केंद्र शासित प्रशासन एक सिख महिला की परिभाषा को बदलने का अधिकार कैसे अपना सकता है, जिसे 'सिख रेहत मर्यादा' में अच्छी तरह दर्ज है। चीमा ने कहा कि रेहत मर्यादा में बदलाव का केंद्र शासित प्रशासन के पास कोई अधिकार नहीं है।"
उन्होंने कहा कि सिख धर्म के सिद्धांतों (मर्यादा) के अनुसार, सिख महिला को पगड़ी पहनना जरूरी नहीं है।
उन्होंने कहा, "लगभग 99.99 फीसदी सिख महिलाएं दुपट्टे से अपना सिर ढकती हैं। हेलमेट पहनने से मिली छूट उन सब पर लागू होती है, लेकिन नई अधिसूचना ने सिख महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित किया है।"
चीमा ने आश्चर्य जताया कि पंजाब सरकार सर्वोच्च न्यायालय के फैसले में सिख महिलाओं को हेलमेट पहनने से दी गई छूट का पूरी तरह से बचाव कर रही है, जबकि दूसरी ओर चंडीगढ़ प्रशासन ने इसके विपरीत कदम उठाया है।
--आईएएनएस
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