चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के प्रयासों से अब एसवाईएल के मामले को हल करने की तरफ कदम बढ़ रहे हैं। मंगलवार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई जिसमें केंद्र सरकार ने कोर्ट को अवगत करवाया कि पंजाब सरकार मामले में सहयोग नहीं कर रही है। केंद्र सरकार ने कोर्ट को बताया कि नए मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा गया लेकिन उन्होंने जवाब नहीं दिया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वो इस मसले पर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित कर मतभेद समाप्त करने और समाधान के लिए प्रयास करे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि एसवाईएल हरियाणावासियों का हक है और वे इसे लेकर रहेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि हरियाणा के लिए यह पानी अत्यंत आवश्यक है। एक तरफ हमें यह पानी नहीं मिल रहा है, जबकि दूसरी तरफ दिल्ली हमसे अधिक पानी की मांग कर रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण कार्य को पूरा करना हरियाणा और पंजाब राज्यों के बीच अत्यंत पुराना और गंभीर मसला है। यह नहर न बनने के कारण रावी, सतलुज और ब्यास का अधिशेष, बिना चैनल वाला पानी पाकिस्तान में चला जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल मुद्दे को हल करने के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ 18 अगस्त, 2020 को केंद्रीय जल शक्ति मंत्री की बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसार, पंजाब आगे कार्रवाई नहीं कर रहा है।
उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए हरियाणा के मुख्यमंत्री ओर से 6 मई 2022 को एक अर्ध-सरकारी पत्र केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री को भेजा गया था जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की दूसरे दौर की बैठक जल्द से जल्द बुलाने का अनुरोध किया गया था। मुख्यमंत्री ने गृहमंत्री अमित शाह को भी इस विषय में एक अर्ध-सरकारी पत्र लिखा था, जिसमें दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक आयोजित करने की बात कही गई थी। इससे पहले हरियाणा की ओर से इस बैठक के लिए पंजाब के मुख्यमंत्री को भी 3 अर्ध-सरकारी पत्र लिखे गए, लेकिन उनकी तरफ से कोई जवाब नहीं मिला।
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