चंडीगढ़। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (एचएसपीसीबी) ने दिशानिर्देश जारी किए हैं कि धान की कटाई करने के इच्छुक कम्बाइन हारवेस्टर के मालिक हारवेस्टर मशीन के साथ सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम (एसएसएमएस) को जोड़ेंगे और राज्य में किसी भी हारवेस्टर मशीन को बिना एसएसएमएस प्रणाली के धान की कटाई की अनुमति नहीं दी जाएगी। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
एचएसपीसीबी के एक प्रवक्ता ने आज यहां यह जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिष्ठित एजेंसियों और संस्थानों द्वारा किए गए विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि जब धान की कटाई के दौरान कम्बाइन हारवेस्टर के साथ एसएसएमएस प्रणाली को जोड़ा जाता है तो वह धान के फानों को छोटे टुकड़ों में काटने की सुविधा प्रदान करती हैं, जिससे किसानों को धान के अवशेष जलाए बिना अगली फसल की बिजाई करने में सहायता मिलती है।
एचएसपीसीबी ने खेतों में धान के अवशेषों को अंधाधुंध रूप से जलाने के मामलों पर विचार किया है। प्रदेश में कटाई के उपरांत फानों को जलाना राज्य और साथ लगते दिल्ली व एनसीआर में वायु प्रदूषण का मुख्य कारण है। ऐसे कार्यों से मृद्घा की उपजाऊ शक्ति और पर्यावरण को नुकसान होता है।
प्रवक्ता ने कहा कि फसल कटाई मौसम के दौरान फसल के अवशेषों को जलाने पर रोक लगाने के लिए हरियाणा पर्यावरण विभाग ने प्रदेश में धान के अवशेषों और गेहूं के फानों को अंधाधुंध जलाने पर प्रतिबंध लगाने के लिए 16 सितंबर, 2003 को अधिसूचना जारी की गई।
उन्होंने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, नई दिल्ली के प्रिंसिपल बेंच ने हरियाणा समेत एनसीआर क्षेत्र में कृषि फसल अवशेष जलाना प्रतिबंधित किया है।
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