चंडीगढ़। हरियाणा रोडवेज ज्वाईंट एक्शन कमेटी के आह्वान पर 5 सितम्बर को रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल व चक्का जाम जनता के बीच बहस का मुद्दा बन गया है कि आखिर रोडवेज कर्मचारियों को बार-बार हड़ताल क्यों करनी पड़ रही है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह बात शनिवार को बस स्टैंड पर आयोजित रोडवेज ज्वाईंट एक्शन कमेटी की बैठक में जोर-शोर से उठी। कमेटी के वरिष्ठ सदस्य हरिनारायण शर्मा, दलबीर किरमारा, अनूप सहरावत, जयभगवान कादियान, बाबू लाल यादव की संयुक्त अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में कर्मचारी नेताओं ने कहा कि रोडवेज यूनियन कर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ परिवहन विभाग का विकास और जनता को बेहतर सेवा प्रदान करने में सरकार का सहयोग भी करती है। परन्तु सरकार द्वारा परिवहन विभाग में केवल मात्र अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने की दृष्टि से विनाशकारी नीतियां अपनाने के विरूद्ध रोडवेज कर्मचारियों को आन्दोलन करने पर मजबूर कर रही है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने अपने चार साल के कार्यकाल में वर्षों से खाली पड़े कर्मशाला कर्मियों व परिचालकों के पदों पर ना ही कोई भर्ती की है और ना ही विभाग में एक भी नई बस खरीदकर शामिल किया गया है। इसके विपरीत पिछले वर्ष प्राईवेट परिवहन स्कीम 2016/2017 के तहत उन मार्गों पर निजी परमिट जारी किये गये जहां लम्बे मार्गों पर रोडवेज की बसें संचालित हैं। जिससे विभाग को रोजाना लाखों रूपयों का नुक्सान उठाना पड़ रहा है और अब सरकार द्वारा किलोमीटर स्कीम पर 700 प्राईवेट बसें हॉयर करने का निर्णय लिया गया है। जबकि विभाग में परिचालकों की कमी के कारण पहले से ही विभिन्न डिपूओं में 500 के करीब सरकारी बसें खड़ी हैं और उनका संचालन नहीं हो पा रहा। कर्मचारी नेताओं ने सरकार से मांग की कि निजी बसें हायर करने की बजाए परिचालकों की भर्ती करके उपरोक्त बसों को चलवाया जाये।
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