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हरियाणा : रॉबर्ट वाड्रा को लगा झटका, स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी का लाइसेंस रद्द करने की तैयारी में विभाग

Process Of Cancelling Land Right Of Robert Vadras Firm Started: Official - Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़। हरियाणा में कांग्रेस को एक और तगड़ा झटका लगा है। टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को सन् 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस रद्द करने की तैयारी कर ली है। लाइसेंस रद करने की तमाम औपचारिकताएं पूरी हो चुकीं और किसी भी समय आदेश जारी हो सकता है।

पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार में स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड को गुरुग्राम के शिकोहपुर गांव (सेक्टर-83) में 3.53 एकड़ जमीन साढ़े सात करोड़ रुपये में कॉलोनी डेवलप करने के लिए दी गई थी। प्रदेश सरकार ने इस जमीन में से 2.70 एकड़ जमीन भूमि को व्यावसायिक कॉलोनी के तौर पर विकसित करने की मंजूरी देते हुए लाइसेंस रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दिया था।

इसके उलट कॉलोनी डेवलप करने के बजाय 18 सितंबर 2012 को रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी ने 58 करोड़ में इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया। तब भी भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार थी। आरोप है कि सरकार से कम दाम पर मिली इस जमीन को डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेचकर स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने करोड़ों रुपये का मुनाफा कमाया।

स्काई लाइट ने सेल डीड के जरिये इस जमीन को तो डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड को बेच दिया, लेकिन टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग ने लाइसेंस को ट्रांसफर करने की अंतिम मंजूरी नहीं दी थी। डीएलएफ यूनिवर्सल लिमिटेड रिन्यूअल फीस वर्ष 2018 तक जमा कराती रही, लेकिन इसके बाद लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया गया है। इसे आधार बनाते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने वाड्रा की कंपनी को वर्ष 2008 में दिया गया रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस रद करने का निर्देश दिया है।

ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने गुरुग्राम जमीन घोटाले में स्काई लाइट हॉस्पिटेलिटी के खिलाफ पहले ही एफआइआर दर्ज कर रखी है। इसके अलावा पिछले साल गुरुग्राम पुलिस ने रॉबर्ट वाड्रा, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और डीएलएफ के खिलाफ अलग से एफआइआर दर्ज की थी।

लाइसेंस रद्द करने का
यह है आधार...
टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के निदेशक केएम पांडुरंग के मुताबिक हरियाणा विकास और शहरी क्षेत्रों के विनियमन अधिनियम 1975 के प्रावधानों के अनुसार लाइसेंस रद्द करने की औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। विभाग के पास लाइसेंस रद्द करने के लिए आधार है, क्योंकि वर्ष 2012 में तत्कालीन महानिदेशक अशोक खेमका ने इस जमीन का म्यूटेशन रद कर दिया था। अधिनियम की शर्तों के मुताबिक लाइसेंस धारक के पास भूमि का स्पष्ट शीर्षक होना चाहिए। एक उपनिवेशक लाइसेंस धारक को आवासीय, वाणिज्यिक या औद्योगिक उद्देश्यों के लिए एक कॉलोनी स्थापित करने की अनुमति देता है।

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Web Title-Process Of Cancelling Land Right Of Robert Vadras Firm Started: Official
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