चंडीगढ़। विलुप्त हो रही हस्तशिल्प कलाओं, हथकरघा उत्पादों और कलाकारों के संरक्षण के लिए 1987 में शुरू किया गया सूरजकुंड मेला अब विशाल रूप ले चुका है और अब यह विदेशी पर्यटकों के बीच और अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को फरीदाबाद के सूरजकुंड में 34वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला-2020 का शुभारंभ रिबन काट कर और दीप प्रज्जवलन कर किया। इस मौके पर हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और उज्बेकिस्तान के राजदूत भी उपस्थित थे। राष्ट्रपति ने अपनी धर्मपत्नी सविता कोविन्द के साथ मेले का अवलोकन किया।
34वें सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला-2020 में उज्बेकिस्तान सहभागी देश और हिमाचल प्रदेश सहभागी प्रदेश के तौर पर भाग ले रहे हैं। इस वर्ष इस मेले में 20 लाख से अधिक लोगों के आने का अनुमान है। पिछले साल 13 लाख से अधिक लोग मेला देखने पहुंचे थे, जिनमें से एक लाख से भी ज्यादा विदेशी पर्यटक थे।
आप खाने के शौकीन हैं, शॉपिंग के शौकीन हैं या फिर हथकरघा के उत्पादों को पसंद करते हैं तो सूरजकुंड मेला आपके लिए बिल्कुल सही जगह है। विश्व में सबसे बड़े क्राफ्ट मेले के तौर पर पहचान बना चुके सूरजकुंड मेले की सुदंरता देखते ही बनती है। अगर आप खाने के शौकिन हैं तो आपको यहां भारतीय व्यंजनों के अलावा चाईनीज, थाई, मुगलई, हैदराबादी और विदेशी व्यंजनों का स्वाद भी चखने को मिल जाएगा। मेले में आने के लिए आप ऑनलाईन टिकट भी खरीद सकते हैं। मेला 40 एकड़ से ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है और इस बार यहां भारत के विभिन्न प्रदेशों सहित लगभग 30 देशों की 1200 स्टाल लगाई गई हैं। इन स्टालों पर बेहतरीन और विख्यात कारिगरों द्वारा तैयार उत्पाद खरीदे जा सकते हैं।
मेले में आने वाले लोगों के मनोरंजन का भी पूरा प्रबंध किया गया है। मेले के दौरान प्रतिदिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत पहले दिन मुगलई कथक का प्रदर्शन किया गया। इसी प्रकार, 4 फरवरी को हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रम, 5 फरवरी को विभिन्न गायकों द्वारा शो, 6 फरवरी को म्युजिकल नाईट, 7 फरवरी को फैशन शो, 8 फरवरी को सांस्कृतिक कार्यक्रम, 9 फरवरी को फैशन शो, 10 फरवरी को सारेगामापा के गायक द्वारा गायन, 11 फरवरी को कथक डांस, 12 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुति, 13 फरवरी को जैज फ्यूजन, 14 फरवरी को शूफी नाईट व 15 फरवरी को हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन होगा।
मेले में संस्कृति और आधुनिकता का अनोखा संगम देखने को मिलता है। जहां प्रख्यात शिल्पकारों द्वारा बनाए गए उत्पाद यहां उपलब्ध हैं, वहीं मेले की सुरक्षा के लिए हाईटेक व्यवस्था की गई है। जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और सभी द्वारों पर आने वाले लोगों की चैकिंग के लिए कड़ी व्यवस्था की गई है। साल दर साल इस मेले का दायरा बढ़ता जा रहा है और इसकी लोकप्रियता अब विदेशों तक पहुंच चुकी है। हर साल मेले में आने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में ईजाफा होता जा रहा है। यही नहीं सोशल मीडिया पर भी सूरजकुंड मेले की चर्चा है। यह मेला सही मायने में हस्तशिल्पियों के लिए बेहतर प्लेटफार्म है।
वास्तव में इस मेले के माध्यम से हरियाणा सरकार के हस्तशिल्प और हथकरघा से जुड़े लोगों को पुनर्जीवन देने के प्रयास सार्थक हो रहे हैं। अब देश के विभिन्न राज्यों के कलाकार हों या विदेशों के कलाकार इस मेले में बड़े चाव से आते हैं और यहां उनको पूरा सम्मान भी मिलता है। साथ ही, उनके उत्पादों की खरीद के लिए यहां ग्राहकों की भी कमी नहीं है। सूरजकुंड मेले के आज हुए आगाज से ही इसके अंजाम का अंदाजा लगाया जा सकता है क्योंकि आज ही इस मेले को देखने के लिए पर्यटकों का सैलाब उमड़ आया है।
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