चंडीगढ़ । केंद्र सरकार और
किसानों के बीच चौथे दौर की वार्ता बेनतीजा रही और इसके साथ ही हरियाणा
में भाजपा और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच राजनीतिक खाई चौड़ी होती
जा रही है।
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अब, मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली सिर्फ एक साल की पुरानी सरकार
में विवाद का मुद्दा किसानों के खिलाफ हिंसा, बैरिकेड्स तोड़ने और सरकारी
कर्मचारियों के कर्तव्य निर्वहन में व्यवधान पैदा करने के सैकड़ों मामले
दर्ज करने को लेकर है।
जेजेपी अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत
चौटाला इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से चुप्पी बनाए हुए हैं, उनके
फायरब्रांड छोटे भाई दिग्विजय चौटाला सरकार को लगभग हर दिन आड़े हाथों ले
रहे हैं।
उन्होंने मांग की है कि किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिया जाना चाहिए।
दिग्विजय
चौटाला ने गुरुवार को मीडिया से कहा, "हम मुख्यमंत्री और गृह मंत्री से
बात करेंगे कि वे किसानों के खिलाफ मामलों को वापस लेने के लिए कहें ताकि
स्थिति खराब न हो और किसी भी तरह का अविश्वास पैदा न हो।"
उन्होंने कहा, "शांतिपूर्वक विरोध करना किसानों का मौलिक अधिकार है।"
जेजेपी
की युवा शाखा के प्रमुख दिग्विजय ने कहा कि पार्टी के वरिष्ठ नेता सरकार
के साथ किसानों की बैठक के नतीजों का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी बैठक के बाद अपने भविष्य के कदम पर चर्चा करेगी।
जेजेपी
मुख्य रूप से एक ग्रामीण जाट केंद्रित पार्टी है, जिसके किसान वोटबैंक
हैं। जाट, जो एक प्रमुख कृषक समुदाय है, राज्य में इसकी आबादी 28 प्रतिशत
है।
प्रदर्शनकारी किसानों के साथ पहली बार खुलकर सामने आते हुए,
जेजेपी के राष्ट्रीय प्रमुख और पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला ने 2 दिसंबर को
कहा कि केंद्र को लिखित रूप में, प्रदर्शनकारी किसानों को न्यूनतम समर्थन
मूल्य (एमएसपी) पर एक आश्वासन देना चाहिए।
अजय चौटाला ने मीडिया से
कहा, "जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि मंत्री बार-बार कह
रहे हैं कि एमएसपी जारी रहेगा, तो उस लाइन को जोड़ने में क्या हर्ज है।"
राजनीतिक
प्रेक्षकों का मानना है कि राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस लेने के लिए
पार्टी के भीतर जेजेपी पर दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि भाजपा का केंद्रीय
नेतृत्व किसानों के साथ अब तक चार दौर की वार्ता के बाद भी तीन नए कृषि
कानूनों को लेकर कड़ा रुख दिखा रहा है।
किसान 'काले' कृषि कानूनों
को पूरी तरह से खत्म करने पर जोर दे रहे हैं, लेकिन केंद्र सरकार कानूनों
के कुछ प्रावधानों में संशोधन करने को तैयार है।
जेजेपी के एक
पदाधिकारी ने शुक्रवार को आईएएनएस से कहा, "पिछले नौ दिनों से राष्ट्रीय
राजधानी की सीमाओं पर जमा हुए किसानों को बड़ी संख्या में किसान और
कर्मचारी संगठनों और यहां तक कि स्थानीय लोगों का समर्थन मिलने के बीच
सरकार छोड़ने की मांग जोरशोर से उठ रही है।"
उन्होंने कहा कि दिल्ली
की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन में शामिल होने के लिए 130 खाप पंचायतों
(सामुदायिक न्यायालयों) का निर्णय पार्टी के लिए चिंता का विषय है।
अजय चौटाला चार बार के मुख्यमंत्री और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अध्यक्ष ओम प्रकाश चौटाला के बड़े बेटे हैं।
पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा कि जब तक पार्टी के प्रमुख दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री हैं, वे एमएसपी को बंद नहीं होने देंगे।
पार्ची ने कहा कि अगर किसानों को एमएसपी के कारण नुकसान उठाना पड़ा, तो चौटाला अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।
जेजेपी
के 10 विधायकों के अलावा, सात निर्दलीय विधायकों ने भी भाजपा को समर्थन
दिया था, जिससे वह 90 सदस्यीय विधानसभा में 57 सीटों पर पहुंच गई थी।
हालांकि, निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान पहले ही किसानों के आंदोलन के कारण राज्य सरकार से अपना समर्थन वापस ले चुके हैं।
--आईएएनएस
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