नई दिल्ली/ चंडीगढ़ । मनोहर लाल खट्टर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के पुराने प्रचारकों में से रहे हैं, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा साल 2014 में हरियाणा में पहली बार बनी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी सौंपी गई। वह फिर दूसरे कार्यकाल के लिए भी मुख्यमंत्री बने। उनका मानना है कि दिल्ली से आने वाले लोगों ने हरियाणा में कोरोना फैलाया। खट्टर करनाल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वह राज्य में कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहे हैं। हरियाणा के साथ पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और दिल्ली की सीमाएं लगती हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आईएएनएस के साथ एक व्यापक बातचीत में, खट्टर ने कहा कि अगर कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई लंबे समय तक चलती है, तो कठोर फैसले लेने पड़ सकते हैं।
उन्होंने कहा, "हम जनता के एक ट्रस्टी के रूप में व्यवस्था को संभाल रहे हैं। बीमारी को ठीक करने के लिए कड़वी दवा आवश्यक है और कड़वी दवा के कारण होने वाले कष्टों को सहन करना पड़ता है। इसलिए सरकार की ओर से सीमा पार आवाजाही को रोकने का निर्णय लिया गया। दिल्ली की सीमा पर बारीकी से निगरानी करने का निर्णय आपदा को कम करने के लिए आवश्यक है।"
पेश हैं, साक्षात्कार के कुछ प्रमुख अंश :
प्रश्न : दिल्ली के नजदीक होने के बावजूद, हरियाणा अन्य राज्यों की तुलना में कोविड-19 को कुछ हद तक रोकने में सफल रहा है। इसके लिए आपने एक डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। यह सब कैसे संभव हो पाया?
उत्तर : कोविड-19 महामारी के खिलाफ लड़ाई लंबी खिंच गई है। इसने न केवल हरियाणा, बल्कि पूरे देश और दुनिया को प्रभावित किया है। संक्रमण फैलने का डर सभी स्तरों पर बना रहता है। इसलिए हम हर स्तर पर इसके लिए तैयार हैं।
आपको याद होगा कि 22 मार्च को प्रधानमंत्री ने 'जनता कर्फ्यू' का आह्वान किया था। हमने राज्य के लोगों से अपने घरों में रहने और जनता कर्फ्यू को सफल बनाने की भी अपील की। इस युद्ध को जीतने के लिए एकमात्र मंत्र, जो प्रधान मंत्री द्वारा हमें दिया गया था, वह था सामाजिक दूरी। हमने राज्य के लोगों को एक 'ट्रिपल एस' का मंत्र दिया - स्टे इन होम, सोशल डिस्टेंसिंग, सैनिटाइज योरसेल्फ।
कोविड-19 के प्रकोप के दौरान, हमने सभी स्तरों पर जनता के साथ संवाद किया। हरियाणा ने दिल्ली या देश के किसी भी राज्य से बेहतर कोरोनावायरस की लड़ाई लड़ी है और हमने लड़ाई जारी रखी है।
प्रश्न : महामारी के दौरान आपके कार्यालय द्वारा आवश्यक सामानों की आपूर्ति बनाए रखने के लिए निरंतर निगरानी की जाती है। इसके लिए बड़ी संख्या में स्वयंसेवक लगे हुए हैं। यह कैसे संभव हुआ?
उत्तर : महामारी के खिलाफ लड़ाई में टीम ने बहुत योगदान दिया है। एक के रूप में कार्य करने से ही हरियाणा की हालत आज पड़ोसी राज्यों दिल्ली, राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश से बेहतर है। पूरे देश में हरियाणा की चर्चा हो रही है। जब विदेशों में कोरोना के मामले बढ़ने शुरू हुए तो राज्य सरकार ने विदेशों से आए 13,000 लोगों पर कड़ी निगरानी रखी।
जहां तक राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान स्वयंसेवकों का सवाल है, हमने जरूरतमंदों की मदद करने के लिए राज्य और जिला स्तर पर हेल्पलाइन नंबर जारी किए हैं।
प्रश्न : खेतों में काम करने वाले मजदूर कटाई के मौसम के दौरान बड़ी संख्या में हरियाणा से अपने मूल स्थानों पर चले गए हैं। आप इस समस्या से कैसे निपट रहे हैं?
उत्तर : हरियाणा कृषि और उद्योग का प्राथमिक राज्य है। हमारे देश में कृषि के साथ, लाखों श्रमिक उद्योगों में कार्यरत हैं, जो अन्य राज्यों से आते हैं। मैंने बार-बार कहा है कि ये श्रमिक हरियाणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं, चाहे वे कृषि में लगे हों या उद्योग में। हमने कभी भी अपने प्रांत को सीमाओं से नहीं जोड़ा, लेकिन हर श्रमिक हमारा भाई है।
इसी तरह की स्थिति इस बार महामारी के दौरान हुई। जब बंद की घोषणा की गई तो देश भर के साथ ही हरियाणा में भी रबी फसलों की कटाई और भंडारण का समय था। महामारी के कारण दूसरे राज्यों से आए लाखों मजदूरों ने अपने घरों को लौटने की बात करनी शुरू कर दी। ऐसी अफवाहें चलीं कि वे महामारी के बजाय भूख से मर सकते हैं, प्रवासी मजदूरों को ऐसा लगा कि वे अपनी जान बचाने के लिए घर जा रहे हैं।
प्रश्न : आपने स्थिति को कैसे संभाला?
उत्तर : सरकार के सामने चुनौती यह सुनिश्चित करने की थी कि कोरोना संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए बंद का सही तरीके से पालन किया जाए। चुनौती दोहरी थी। एक तरफ हमने जमींदारों और किसानों से कहा कि वे फसल कटाई और बाकी खेती के काम में लगे स्थानीय मजदूरों के साथ मिलकर काम करें, क्योंकि काम करने में कोई शर्म नहीं है।
दूसरी ओर, हमने उन सभी प्रवासी मजदूरों को आश्वस्त किया, जो हमारे राज्य में अपनी आजीविका कमाने के लिए बाहर से आए थे, कि वे हरियाणा में सुरक्षित हैं। आपदा की इस घड़ी में सरकार उनके साथ है। हम उनकी मदद करने के लिए जितना भी कर सकते हैं, करेंगे। सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए पर्याप्त व्यवस्था की है।
प्रश्न : क्या यह माना जा सकता है कि हरियाणा में कोविड-19 का बुरा दौर खत्म हो चुका है और क्या आपको भविष्य में कोई खतरा दिखाई दे रहा है?
उत्तर : जैसे ही कोरोना महामारी की खबर सामने आई, हमने अपनी प्रणाली को मजबूत किया, स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार किया और कोविड-19 समर्पित अस्पतालों की स्थापना करते हुए जांच की दर को भी बढ़ाया। हमें इनके अच्छे परिणाम मिले। बड़ी संख्या में नांदेड़ के तीर्थयात्री पॉजिटिव पाए गए, कुछ हरियाणा में भी पॉजिटिव पाए गए।
दिल्ली में काम करने वाले और वहां आने-जाने वाले पॉजिटिव लोगों की संख्या अधिक पाई गई है। हरियाणा के गुरुग्राम, झज्जर, सोनीपत और फरीदाबाद जैसे जिलों में पॉजिटिव मामलों में वृद्धि हुई, क्योंकि उनकी अन्य राज्यों के साथ सीमाएं लगती हैं।
जैसे कि मैंने शुरुआत में ही कहा है कि अगर कोरोना की लड़ाई लंबे समय तक चलती है, तो कठोर फैसले लेने होंगे। यही वजह है कि सरकार ने सीमा पार आवाजाही को रोकने का फैसला किया है।
--आईएएनएस
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