चंडीगढ़। नेशनल हेराल्ड घोटाला केवल एक आर्थिक अपराध नहीं है बल्कि यह कांग्रेस पार्टी द्वारा भारत की आत्मा पर लगाया गया घाव है। महान स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा शुरू किए गए इस अख़बार ने एक समय अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती देने की आवाज़ का रूप ले लिया था। यद्यपि स्वतंत्रता के बाद उस आवाज़ को कांग्रेस की सत्ता का मुखपत्र बनाकर गला घोंट दिया गया और अंत में संपत्ति हड़पने की अंधी हवस ने इसे मार डाला। इस अमानवीय अपराध के केंद्र में सोनिया गांधी और राहुल गांधी हैं जो आज भी अपने आपको भारत की नियति का केंद्र समझते हैं।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
सिर्फ़ 50 लाख रुपये के एक फरेबी लेन-देन के ज़रिये मां-बेटे की जोड़ी ने कांग्रेस पार्टी का 90.21 करोड़ का कर्ज़, ‘यंग इंडिया’ नामक एक निजी कंपनी को ट्रांसफर करवाया और फिर उस बहाने नेशनल हेराल्ड की हज़ारों करोड़ की संपत्ति को हड़प लिया। यह सिर्फ़ धोखा नहीं था। यह लोकतंत्र की छाती पर चढ़कर उसके सीने में खंजर घोंपने जैसा था।
असली भयावहता तो वहां शुरू होती है जहां आरोपी देश की न्यायिक प्रणाली के सामने विनम्रतापूर्वक जवाब देने के बजाय, बेशर्मी और दबाव की राजनीति पर उतर आते हैं। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा न्यायालय में राहुल गांधी और सोनिया गांधी को आरोपी बनाकर चार्जशीट दाखिल करने पर कांग्रेस के सारे तंत्र का भड़क उठना राजशाही परिवार का अपराधबोध बताता है। सत्ता का ऐसा मद शायद ही कभी देखा गया हो जिसमें आरोपी खुद को कानून से ऊपर समझते हैं और अपने समर्थकों की भीड़ से न्याय को डराने का असफल प्रयास करते हैं।
इस पूरे प्रकरण में सबसे हृदय विदारक क्षण वह था जब राहुल गांधी ने 2022 में अपनी पूछताछ के दौरान सारी ज़िम्मेदारी मोतीलाल वोहरा पर डाल दी। वो व्यक्ति, जिसने अपने जीवन के पचास साल गांधी परिवार की सेवा में गवां दिए, जो उनके हर राजनीतिक और निजी कदम में उनकी परछाई बना रहा। उसकी मौत के महज़ दो साल बाद राहुल ने उसे इस घोटाले का मुख्य अपराधी बता दिया। यह केवल एक काग़ज़ी बयान नहीं था, यह उन तमाम वफादारों के मुंह पर तमाचा था जिन्होंने इस परिवार के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दिया। यह एक ऐसा धोखा था जिसकी कोई मिसाल इतिहास में नहीं मिलती।
राहुल गांधी वो है जो हर मंच से देश के उद्योगपतियों पर उंगली उठाते हैं, लेकिन जब उनके भ्रष्टाचार की जांच होती है तो वे अपने समर्थकों द्वारा सड़कों पर बवाल कटवाते हैं। क्या यह विरोधाभास नहीं कि जो लोग देश में करोड़ों को रोजगार दे रहे हैं, ईमानदारी से टैक्स भर रहे हैं और पारदर्शी पूंजी बाजार से धन जुटाकर देश का विकास कर रहे हैं, उन्हें राहुल गांधी ‘चोर’ कहते हैं और खुद काग़ज़ी कंपनियों के माध्यम से सार्वजनिक संपत्ति पर कब्ज़ा कर खुद को ‘त्याग की मूरत’ बताते हैं?
नेशनल हेराल्ड की संपत्तियाँ तो हथिया ली गईं, लेकिन उससे बड़ी लूट उस भरोसे की थी जो देश ने इस परिवार पर कभी किया था। यही परिवार 2जी घोटाले से लेकर कोयला आवंटन, राष्ट्रमंडल खेल और अगस्ता वेस्टलैंड तक के घोटालों की श्रृंखला में बार-बार न्याय की आंखों में धूल झोंकता रहा है।
कांग्रेस ने ‘त्याग की मूर्ति’ के रूप में सोनिया गांधी की जो छवि दशकों तक गढ़ी, वह स्वार्थ की दीवार में दरकती दिखाई देती है। नेशनल हेराल्ड अब एक ऐसे घोटाले का प्रतीक है जो बताता है कि कैसे सत्ता का नशा सामन्तवादियों को उस मुकाम तक ले जाता है जहाँ उन्हें अपने अपराध भी अधिकार लगते हैं, लेकिन देश अब बदल चुका है। सोनिया और राहुल गांधी ने बहुत वर्षों तक सत्ता के क़िले में छिपकर जनता की आंखों में धूल झोंकी, अब वक्त है कि उनके क़दम न्याय की उस ज़मीन पर पड़ें हैं, जहाँ विरासत नहीं, सच का पलड़ा भारी होगा।
लेखक हरियाणा भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष पंडित मोहन लाल बड़ौली हैं
जब जलजले से तुर्की बन गया था खंडहर तब भारत ने बढ़ाया था मदद का हाथ, अब एहसान नहीं मानने वाले को ऐसे जनता देगी आर्थिक चोट
एस जयशंकर की ऑस्ट्रियाई विदेश मंत्री से फोन पर बात, आतंकवाद के मुद्दे पर हुई चर्चा
हम तो पाकिस्तान में तिरंगा यात्रा चाहते हैं : तेजस्वी यादव
Daily Horoscope