जैन
ने कहा कि वास्तव में भगवान महावीर सहित सभी महापुरूषों एवं धर्म गुरूओं
के सन्देश समूची मानवता के लिये थे, परन्तु हमने अपनी तंग सोच एवं
व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण अपने महापुरुषों को भी विभिन्न धर्मों,
सम्प्रदायों एवं जातियों में बांट दिया है। ये भी पढ़ें - जानिए कहां रहते थे अंतिम हिंदू सम्राट विक्रमादित्या, क्या है नाम..
सैक्टर 27-बी के समारोह
में महापौर देवेश मोदगिल ने कहा कि जैन धर्म सभी से अपेक्षा करता है कि
जहां वे स्वंय अपने धर्म का पालन करें, वहीं वे दूसरे धर्मो का भी बराबर का
सम्मान करे। उन्होंने जैन साधु एवं साघ्वियों के त्यागमयी एवं स्वार्थ
रहित जीवन की भरपूर प्रसंशा की।
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