-मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार न कर कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है सरकार
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चंडीगढ़। अखिल भारतीय कांग्रेस की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा की सांसद कुमारी सैलजा ने कहा है कि वायदा करके मुकर जाने की प्रदेश की भाजपा सरकार की पुरानी आदत है। मांगों के समर्थन में एनएच कर्मियों की हड़ताल पर है, गूंगी बहरी सरकार को नींद से जगाने के लिए सिरसा में कर्मचारी जान जोखिम में डालकर पानी की टंकी पर चढ़े हुए हैं। दूसरी ओर हड़ताल के चलते प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं। मरीजों की जान पर बन आई है। अगर सरकार को जरा भी चिंता है तो हड़ताली कर्मचारियों से वार्ता की समस्या का समाधान करें।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा है कि एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं। हड़ताल से एनीमिया कार्यक्रम, टीकाकरण, एंबुलेंस सेवा, कैंसर मरीजों की जांच, गर्भवती का पंजीकरण आदि सुविधाएं प्रभावित हैं। पर सरकार हठधर्मिता पर अडिग है। एनएचएम कर्मियों की कोई सुध नहीं ली जा रही है, इसका खामियाजा सरकार को विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हड़तालियों की मांग है कि एनएचएम कर्मचारियों को जल्द नियमित किया जाए, बायलॉज की वेतन विसंगति को दूर कर सातवें पे कमीशन का लाभ दिया जाए, 58 साल तक सभी एनएचएम कर्मियों की नौकरी की सुरक्षा दी जाए और कर्मचारियों को ग्रेच्युटी का लाभ दिया जाए।
एनएचएम कर्मचारियों कहते आ रहे है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत वेतन देने की मांग की थी। दूसरी ओर 25 सालों से कार्यरत कर्मचारियों को नियमित होने की इंतजार है नियमित करने की मांग पूरी तरह से जायज है। इसे अनदेखा कर सरकार उनके साथ अन्याय कर रही है। कर्मचारी सेवा सुरक्षा, सामाजिक सुरक्षा और आर्थिक सुरक्षा की मांग कर रहे है, सरकार को कर्मचारियों के मन में सुरक्षा का भाव पैदा करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने उनकी मांगों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया होता तो सिरसा में हड़तालियों को पानी की टंकी पर चढ़ने की जरूरत न होती।
नए मेडिकल कॉलेज खोले नहीं, पुरानों की हालत खराब: कुमारी सैलजा
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव, पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सिरसा से लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा ने कहा कि प्रदेश की भाजपा सरकार ने राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का बेड़ागर्क कर दिया है। अपनी घोषणा के मुताबिक आज तक प्रदेश के किसी भी जिले में नया मेडिकल कॉलेज शुरू नहीं किया जा सका है। फरीदाबाद के छांयसा में सिर्फ नाम का ही मेडिकल कॉलेज शुरू हुआ है, जो हकीकत में किसी रेफरल सेंटर से ज्यादा कुछ भी नहीं है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से सिरसा मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास करवाकर सरकार भूल गई।
मीडिया को जारी बयान में कुमारी सैलजा ने कहा कि 2014 में भाजपा के सत्ता में आने से पहले प्रदेश में 06 मेडिकल कॉलेज चल रहे थे। लेकिन आज इनकी हालत दयनीय हो चुकी है। इन राजकीय मेडिकल कॉलेजों में डॉक्टरों और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी बनी हुई है। कर्मचारियों व अधिकारियों का यह टोटा कोई अभी नहीं हुआ, बल्कि कई साल से यह स्थिति बनी हुई है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रदेश के सबसे बड़े स्वास्थ्य संस्थान पीजीआई रोहतक में 50 प्रतिशत तक पद खाली पड़े हैं। जबकि, यहां मरीजों को सबसे अधिक दबाव है। डॉक्टरों व स्टाफ की कमी से मरीजों की परेशानी बढ़ने के साथ ही तैनात कर्मचारियों पर भी काम का दबाव बढ़ता जा रहा है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि बीपीएस महिला मेडिकल कॉलेज खानुपर कलां, कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज करनाल, नल्हड़ मेडिकल कॉलेज नूंह व फरीदाबाद के छायंसा मेडिकल कॉलेज में भी ऐसे ही हालात हैं। इनमें प्रोफेसर, डॉक्टर नहीं होने से मरीजों के इलाज के साथ ही मेडिकल की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों के भविष्य पर भी असर पड़ रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि छायंसा के मेडिकल कॉलेज में तो किसी भी तरह के संसाधन तक उपलब्ध नहीं हैं। यहां की ओपीडी कितनी ही बार 20 के आंकड़े को भी क्रॉस नहीं कर पाती। कोई मरीज आता भी है तो उसे यहां रखने की सुविधा न के बराबर होने की वजह से रेफर करना पड़ता है।
कुमारी सैलजा ने कहा कि भाजपा की देश-प्रदेश की सरकार जुमलों की सरकार है। इन्हें घोषणाएं व वादे करने आते हैं, लेकिन उन्हें अमल में लाने के लिए कोई रोडमैप इनके पास नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश में दो एम्स खोलने का वायदा करने वाले 10 साल में इनका पत्थर तक नहीं रखवा पाए हैं। एक एम्स का कुछ समय पहले पत्थर तो रखा, लेकिन कब तक शुरू होगा, इसको लेकर कोई डेडलाइन तक फिक्स नहीं है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिर्फ मेडिकल कॉलेज ही नहीं, बल्कि सरकारी अस्पतालों, सीएचसी, पीएचसी आदि की हालत भी किसी से छिपी नहीं है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति के कारण ही प्रदेश के लोगों को महंगे निजी अस्पतालों में जाकर इलाज कराना पड़ता है। इसलिए अब लोगों की उम्मीद सिर्फ कांग्रेस है और वे अक्टूबर के विधानसभा चुनाव में प्रदेश से भाजपा को चलता कर देंगे।
राष्ट्रपति से सिरसा मेडिकल कालेज का शिलान्यास करवा भूल गई सरकार
उन्होंने कहा कि नवंबर 2022 को कुरुक्षेत्र में आयोजित एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सिरसा में 22 एकड़ भूमि पर 1090 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले मेडिकल कॉलेज का शिलान्यास किया था। कहा गया कि मेडिकल कॉलेज में कुल एमबीबीएस की 100 सीटें होंगी और मरीजों के लिए 539 बेड लगाए जाएंगे। बाद में सिरसा मेडिकल कालेज का नामकरण बाबा सरसांईनाथ के नाम पर करने की घोषणा की गई। इस कॉलेज को लेकर अभी तक सरकार की ओर से घोषणाएं ही घोषणाएं हुई है धरातल पर कोई काम नहीं हुआ है। ऐसा लग रहा है कि सिरसा का मेडिकल कालेज भी एक जुमला ही साबित होगा। जनता को गुमराह करने के लिए कहा जाता है कि टेंडर हो गए, कभी कहा जाता है कि तकनीकी खामी के चलते टेंडर रद कर दुबारा किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत साफ नहीं है उसकी नियत में खोट नहीं है, सरकार सिरसा की उपेक्षा करती बा रही है क्योंकि उसे हर चुनाव में मात खानी पड़ रही है।
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