खट्टर राज्य में निवेश को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, चीन, जापान, सिंगापुर और हांगकांग के दौरे पर गए लेकिन लगातार हो रही हिंसक गतिविधियों ने राज्य को एक ठहराव की स्थिति में पहुंचा दिया है और शायद ही कोई निवेशक राज्य में निवेश करने का जोखिम उठाएगा। हैपनिंग हरियाणा का नारा राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर गलत और हिंसक कारणों से चर्चा का विषय बना हुआ है। पिछले वर्ष फरवरी में जाट आंदोलन के दौरान जाट युवकों की भीषण हिंसा ने रोहतक को कई दिनों तक घेरे रखा और हरियाणा सरकार को 10 जिलों में सेना बुलानी पड़ी। कई जगहों पर तो सेना को शुरू में घुसने ही नहीं दिया गया। ये भी पढ़ें - अनाथ और गरीब बच्चों के मन की मुराद पूरी कर रहा है साई सौभाग्य मंदिर
यहां तक कि हरियाणा के वित्त मंत्री अभिमन्यु के घर और उनके परिवार द्वारा संचालित स्कूल को भी आग लगा दी गई। प्रदर्शनकारियों द्वारा कई सरकारी इमारतों को नुकसान पहुंचाया गया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (राएसएस) के पूर्व प्रचारक, खट्टर जब 26 अक्टूबर 2014 में मुख्यमंत्री बने थे, तब वह राजनीति में एक अनाड़ी थे। वह कभी विधायक भी नहीं रहे, मंत्रीपद और प्रशासनिक पद का अनुभव तो दूर की बात है। खट्टर के तीन वर्षो के कार्यकाल के बाद, भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को उन्हें एक और मौका देने से पहले दोबारा सोचने या फिर राज्य के नेतृत्व के लिए किसी नए चेहरे की तलाश करने की जरूरत है।
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