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करवा चौथ याचिका: हाई कोर्ट ने क्यों खारिज की याचिका?

Karva Chauth petition: Why did the High Court reject the petition? - Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़। हरियाणा के पंचकूला के निवासी नरेंद्र कुमार मल्होत्रा ने करवा चौथ को लेकर एक अनोखी याचिका दायर की, जो चर्चा का विषय बन गई। नरेंद्र कुमार ने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग की थी कि करवा चौथ को विधवा, तलाकशुदा और सहमति संबंध में रहने वाली महिलाओं के लिए अनिवार्य त्योहार घोषित किया जाए। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि इस नियम का विरोध करने वालों को दंडित किया जाना चाहिए। लेकिन हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹1,000 का जुर्माना लगाया।
याचिकाकर्ता की मांग और तर्क

नरेंद्र कुमार मल्होत्रा का कहना था कि करवा चौथ भारतीय संस्कृति का प्रतीक है और इसका महत्व सभी महिलाओं के लिए समान रूप से होना चाहिए। उन्होंने हाईकोर्ट से गुजारिश की कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि इस त्योहार को सभी महिलाओं के लिए अनिवार्य घोषित किया जाए, चाहे वे विधवा हों, तलाकशुदा हों, या सहमति संबंध में हों। उनका तर्क था कि यह कदम समाज में महिलाओं की समानता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देगा।

नरेंद्र कुमार ने यह भी सुझाव दिया कि यदि कोई व्यक्ति इस नियम का विरोध करता है, तो उसे अपराध की श्रेणी में रखा जाए और उसे दंडित किया जाए।

हाईकोर्ट का फैसला और प्रतिक्रिया

हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सख्त रुख अपनाते हुए इसे खारिज कर दिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि करवा चौथ जैसे सामाजिक मुद्दों को लेकर कानून बनाने का अधिकार न्यायपालिका का नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा:

कानून बनाने का काम विधायिका का है।
न्यायपालिका का काम केवल नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है, न कि सामाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों पर निर्णय लेना।
कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इस याचिका ने अदालत का समय बर्बाद किया है। इसके साथ ही अदालत ने ₹1,000 का जुर्माना लगाया और कहा कि यह राशि पीजीआई पुअर पेशेंट रिलीफ फंड में जमा करानी होगी।

हाईकोर्ट की टिप्पणी: कीमती समय की बर्बादी

अदालत ने याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि इस तरह की याचिकाएं न केवल न्यायपालिका के समय की बर्बादी हैं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया का गलत उपयोग भी करती हैं। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को यह समझना चाहिए कि सामाजिक परंपराओं और त्योहारों को लेकर न्यायपालिका की भूमिका सीमित है।

करवा चौथ पर इस तरह की याचिका को हाईकोर्ट द्वारा खारिज किया जाना न्यायिक व्यवस्था की प्राथमिकताओं को दर्शाता है। नरेंद्र कुमार मल्होत्रा पर लगाया गया जुर्माना एक सख्त संदेश है कि न्यायिक प्रक्रिया का दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

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Web Title-Karva Chauth petition: Why did the High Court reject the petition?
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