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चंडीगढ़। हरियाणा में जींद जिले में अहिरका गांव के किसान सतबीर पूनिया वैकल्पिक खेती से सालाना 45 लाख रुपए कमा रहे हैं। इलाके के बच्चे उन्हें 'बेर वाले अंकल' के नाम से जानते हैं। उन्होंने पौधों की कटाई-छंटाई के लिए 20 लोगों को रोजगार भी दे रखा है। इनमें ज्यादातर महिलाएं हैं। सिंचाई के लिए पानी की किल्ल्त को देखते हुए सतबीर ने पारम्परिक खेती को छोड़ कर बागवानी में हाथ आजमाए। जींद के 57 वर्षीय सतबीर के पास 16 एकड़ खेती योग्य जमीन है।
पानी की कमी, अधिक लागत और कम मुनाफे की वजह से खेती छोड़ चुके सतबीर ने बागवानी की तरफ रुख किया। उसने पांच एकड़ में थाई एप्पल प्रजाति के बेर, आठ एकड़ में उन्नत किस्म के अमरुद और दो एकड़ में नींबू लगाए। बाग़ के अंदर वे सब्जी भी लगाते हैं। अच्छा बाज़ार भाव मिल जाने से सतबीर ने अब सालाना 45 लाख रुपए की कमाई कर दूसरे किसानों को भी इस राह पर चलने को प्रेरित किया है।
जींद में भूमिगत पानी की खराब स्थिति को देखते हुए सतबीर ने नहर के पानी को स्टोर करने के लिए 21 लाख लीटर पानी की क्षमता का टैंक बनवाया। सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम से खेतों को पानी देना शुरू किया। नहर में महीने में एक बार ही पानी आता है, लेकिन टैंक में स्टोर किये पानी से सतबीर महीने भर फलदार पेड़ों को पानी दे लेता है। इससे सिंचाई की लागत का खर्च भी ना के बराबर है। जींद और आस-पास के बाज़ारों में सतबीर का ही माल बिक रहा है। काम बढ़ जाने पर उसके पास 20 लोगों को रोजगार भी मिला है।
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