चण्डीगढ़/मुंबई। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि देश में लोकसभा व
विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की दिशा में सैंवेधानिक संशोधनों व
परिवर्तनों की आवश्यकताओं के दृष्टिगत सभी राजनैतिक दलों को राष्ट्रहित में
सहमति बनानी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश का बुद्धिजीवी वर्ग इस विषय पर
विचार-मंथन की प्रक्रिया को विस्तार दे और सभी राजनैतिक दल राष्ट्रहित में
इस मुद्दे पर सहमति बनाएं ताकि हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ व
सशक्त बन सके। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह बात
मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र के थाने (मुम्बई) में रामबाऊ म्हाल्गी प्रबोधिनी
द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय (20-21 जनवरी)
राष्ट्रीय सेमिनार -2018 की अध्यक्षता करते हुए कही।
उन्होंने
कहा कि ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ वर्तमान में एक व्यवहारिक राजनैतिक विचार है
और इस राजनैतिक विचार के भौतिक रूप लेने से देश में एक नए राजनैतिक युग का
सूत्रपात होगा। ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की व्यवस्था होने से राष्ट्र में
राजनैतिक स्थिरता निरंतर रूप से बनी रहेगी। राजनैतिक स्थिरता की निरंतरता
के परिणामस्वरूप नीतिगत परिवर्तनों का मार्ग प्रशस्त होने से देश राजनैतिक व
आर्थिक रूप से और अधिक सक्षम हो सकेगा। ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ की व्यवस्था
होने से देश के एक विकसित राष्ट्र बनने की संभावनाएं अत्यधिक प्रबल हो
जाएंगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री ने
कहा कि वर्ष 2016 में बजट सत्र से पूर्व सर्वदलीय बैठक में प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी द्वारा ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ का राजनैतिक विचार रखा
गया। इसके उपरांत प्रधानमंत्री ने विभिन्न अवसरों पर ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’
के विषय को बुद्धिजीवियों के विचार-मंथन के लिए उठाया है। गत 26 नवंबर को
संविधान दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘एक
राष्ट्र-एक चुनाव’ के मुद्दे पर बुद्धिजीवी वर्ग से विचार-मंथन का आह्वान
किया। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा भी गणतंत्र दिवस पर
अपने संबोधन में स्वंतंत्रता के उपरांत प्रारंभ के दशकों में लोकसभा व
राज्यों की विधानसभाओं के एक साथ हुए चुनावों की प्रकिया को पुन: प्रारंभ
करने की आवश्यकता पर बल दिया। लोकसभा व विधानसभाओं की चुनावी प्रक्रियाओं
को एक साथ आयोजित करवाने के लिए व्यवहार्यता अध्ययन विवरण तैयार करने के
लिए गठित कार्मिक, लोक शिकायत, कानून व न्याय समिति भी लोकसभा व राज्यों की
विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने की पक्षधर रही है।
मनोहर लाल ने कहा कि बार-बार चुनावी प्रकियाओं का सामना करने
वाली सरकारों द्वारा राजनैतिक परिस्थितियोंवश दीर्घकालीन नीतियों व मुद्दों
की अपेक्षा अल्पकालीन नीतियों व मुद्दों को अपनाए जाने के परिणामस्वरूप
विकास की गति कम होने के साथ-साथ सुशासन प्रकिया ही कमजोर पडऩे लगती है।
लोकसभा व विधानसभाओं की चुनावी प्रक्रियाओं को अलग-अलग रूप से संपन्न
करवाने में चुनावी खर्चों में अत्यधिक वृद्धि भी होती है। वर्ष 2009 के आम
चुनाव में 1100 करोड़ रूपये व वर्ष 2014 के आम चुनाव में 3870 करोड़ रूपये
खर्च हुए। कार्मिक,लोक शिकायत, कानून व न्याय समिति के व्यवहार्यता अध्ययन
विवरण के अनुसार भी लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करने से संपन्न
होने वाली विभिन्न चुनावी प्रक्रियाओं पर होने वाले भारी खर्चों में काफ़ी
कमी आएगी।
हरियाणा के मुख्यमंत्री
ने कहा 21वीं सदी में विकास की प्रकिया को निरंतर रूप से गति दिए जाने की
दिशा में आर्थिक सुधारों की भांति सामानांतर रूप से चुनावी सुधारों की
नितांत आवश्यकता है। लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ करवाने की
व्यवस्था किए जाने की दिशा में पूरे राष्ट्र के लिए सभी चुनौतियों व बाधाओं
के पार जाना अपरिहार्य है। मनोहर लाल ने ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ विषय
पर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार-2018 को मार्ग प्रशस्त करने वाला बताया।
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