चंडीगढ़। हिट-एंड-रन कानून में 10 साल की सजा व 7 लाख रुपए जुर्माने के कठोर नियमों को वापस लेने की मांग को लेकर 16 फरवरी को ड्राइवर्स व वाहन चालक हड़ताल पर रहेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा और केंद्रीय ट्रेड यूनियंस के आह्वान पर होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सीआईटीयू से सम्बद्ध दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन हरियाणा बढ़चढ़ कर भाग लेंगी।
यूनियन के राज्य प्रधान सरबत पूनिया व महासचिव सतीश सेठी ने कहाकि केंद्र सरकार द्वारा भारतीय न्याय संहिता में बनाया गया हिट एंड रन कानून ट्रक ड्राइवर्स के साथ सभी बस, कार, कैंटर, पिकअप, टेक्सी, टेम्पू, जीप, थ्रीव्हीलर, ई-रिक्शा समेत सभी सरकारी व निजी वाहन चलाने वालों पर भी लागू होगा। यहां तक कि दो पहिया वाहन स्कूटर, मोटर साईकिल, स्कूटी चलाने वाले पुरुष और महिला भी इस कानून की जद में आएंगे। या यूं कह लीजिए कि जिसके पास भी ड्राइविंग लाइसेंस है, हर उस व्यक्ति पर यह कानून लागू होगा। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
इसलिए भारी भरकम सजा व जुर्माने के साथ यदि यह कानून लागू होता है तो सभी ड्राइवर्स सड़को की बजाए जेलों में बंद होंगे।
उन्होंने कहा कि इससे ट्रांसपोर्ट सेक्टर बर्बाद हो जाएगा। आने वाले समय में कोई भी व्यक्ति ड्राईवर पेशा में नही आएगा। क्योंकि उसे पहले ही बहुत कम वेतन में लगातार कई-कई दिन गाड़ी चलानी पड़ती है। काम के कोई घण्टे निश्चित नहीं हैं। ऊपर से कोई सामाजिक सुरक्षा का भी प्रबंध नहीं है।
सेठी ने कहा कि भाजपा की मोदी सरकार ने यह कानून विपक्ष के 146 सांसदों को ससपेंड कर बिना किसी चर्चा के बनाए है। ड्राइवर्स के साथ पहले ही पुलिस व परिवहन अधिकारी अमानवीय व्यवहार करते है। इस नए कानून से उनपर ज्यादतियां व भ्रष्टाचार और ज्यादा बढ़ेगा। यही नहीं इस कानून को बनाने से पहले भी साल 2019 में भी केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट में ड्राईवर पर चालान के रूप में भारी जुर्माने थोंपे थे। परंतु सरकार दुर्घटना के असल कारणों पर ध्यान देने की बजाए ड्राइवरों को ही दंडित करने में लगी हुई है।
सेठी ने कहा कि सड़कों के रखरखाव व उनके पृथकीकरण की पूरी जिम्मेवारी सरकार की होती है। परंतु इनके रखरखाव का सारा काम प्राइवेट कम्पनियों के हवाले कर दिया गया है। सड़कों की बेहतरी की बजाए कम्पनियों का ज्यादा ध्यान टोल वसूलने पर ही रहता है। इसलिए यदि सरकार ईमानदारी से दुर्घटनाओं को रोकना व कम करना चाहती है तो वास्तविक कारणों की पहचान कर उन समस्याओं का समाधान करे।
यूनियन ने इस बारे आवश्यक सुझावों के साथ लाखों ड्राइवर्स व वाहन चालकों के हस्ताक्षर सहित ज्ञापन केंद्रीय गृह मंत्री व राष्ट्रपति को भी भेजा था। लोकसभा का सेशन भी समाप्त हो गया है। परंतु सरकार ने सुझावों पर कोई ध्यान नही दिया। इसलिए यूनियन को मजबूर होकर हड़ताल पर जाना पड़ा है।
दी ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन हरियाणा मांग करता है कि ड्राईवर विरोधी काले कानूनों को वापिस लिया जाए। ड्राईवर के लिए न्यूनतम वेतन 26 हज़ार लागू किया जाए। ईपीएफ व ईएसआई सुविधा दी जाए। 60 साल की उम्र पर 10 हज़ार रुपए पेंशन दी जाए। ड्राइवरो के कल्याण के लिए केरल सरकार की तर्ज पर बोर्ड का गठन किया जाए। सड़को के निजीकरण पर रोक लगाकर टोल वसूली बंद की जाए।
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