चण्डीगढ़। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में शुक्रवार को नई दिल्ली में हुई मंत्रिमण्डल की बैठक में हरियाणा अनुसूचित जाति (शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में आरक्षण) विधेयक, 2020 नामक ड्राफ्ट बिल को स्वीकृति प्रदान की गई। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
यह विधेयक सरकार द्वारा अनुरक्षित और सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कुल 20 प्रतिशत सीटों में से वंचित अनुसूचित जातियों के लिए 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण प्रदान करता है। इसमें सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त तकनीकी एवं प्रोफेशनल संस्थान भी शामिल हैं।
वंचित अनुसूचित जाति में वे सभी 36 जातियां शामिल हैं जो ब्लॉक-ए, एससी का हिस्सा थीं। इनमें अध धर्मी, वाल्मीकि, बाजीगर, धानक, खटिक, मज़हबी, मज़हबी सिख, ओड, सपेला, सपेरा, सिकरीबंद, भांजरा, बावरिया आदि शामिल हैं।
कर्मचारियों के एकत्रित आंकड़ों के अनुसार, राज्य में अनुसूचित जाति कर्मचारियों की कुल संख्या कुल कर्मचारियों का लगभग 22 प्रतिशत है। हालांकि, विभिन्न सेवाओं में प्रतिनिधित्व के संबंध में, पूर्ववर्ती ब्लॉक ए अनुसूचित जाति में ग्रुप -ए, ग्रुप -बी और ग्रुप-सी सेवाओं में प्रतिनिधित्व केवल क्रमश: 4.7 प्रतिशत, 4.14 प्रतिशत और 6.27 प्रतिशत है, जबकि उनकी आबादी देश की कुल जनसंख्या का लगभग 11 प्रतिशत है। पूर्ववर्ती ब्लॉक बी अनुसूचित जाति (जो राज्य की कुल आबादी का लगभग 11 प्रतिशत है) का ग्रुप ए, ग्रुप बी और ग्रुप सी सेवाओं में प्रतिनिधित्व क्रमश: 11 प्रतिशत, 11.31 प्रतिशत और 11.8 प्रतिशत है।
बैठक में बताया गया कि ब्लॉक ए अनुसूचित जाति या वंचित अनुसूचित जाति शैक्षणिक रूप से योग्य नहीं है क्योंकि एसईसीसी 2011 के आंकड़े बताते हैं कि वंचित अनुसूचित जातियों की केवल 2.13 प्रतिशत आबादी स्नातक, 13.78 प्रतिशत वरिष्ठ माध्यमिक और 6.74 प्रतिशत मैट्रिक पास है। इसके अलावा, 33.63 प्रतिशत लोग निरक्षर हैं। यह उन्हें नागरिकों का एक अलग वर्ग बनाता है जो शिक्षा की कमी के कारण समानता के अपने संवैधानिक अधिकार से वंचित है। इसलिए, वंचित अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश में इस तरह काआरक्षण प्रदान करने का निर्णय लिया गया। अब, उन्हें सरकार द्वारा अनुरक्षित और सरकारी सहायता प्राप्त शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रमों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कुल 20 प्रतिशत सीटों में 50 प्रतिशत सीटों का आरक्षण मिलेगा।
जहां शैक्षणिक संस्थानों में स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर प्रवेश के लिए वंचित अनुसूचित जातियों को दी जाने वाली सीटें किसी भी शैक्षणिक वर्ष में अपेक्षित योग्यता वाले वंचित अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों की अनुपलब्धता के कारण नहीं भरी जाती हैं, तो उन सीटों को उस वर्ष के लिए इस तरह के प्रवेश की अंतिम सूची का प्रदर्शन करने के बाद शैक्षणिक संस्थानों द्वारा अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। यदि 20 प्रतिशत सीटों को भरने के लिए वंचित अनुसूचित जाति या अनुसूचित जाति से कोई भी उम्मीदवार उपलब्ध नहीं है, तो ऐसी सीटें सामान्य श्रेणी के आवेदकों में से भरी जाएंगी।
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