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हरियाणा रियल स्टेट विनियामक प्राधिकरण ने की बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई, यहां देखें नाम

Haryana Real Estate Regulatory Authority takes action against the builders, see name here - Chandigarh News in Hindi

चंडीगढ़ । हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण (हरेरा), गुरुग्राम के अध्यक्ष डॉ. के.के. खंडेलवाल द्वारा विभिन्न डेवलपर्स के खिलाफ चल रहे मामलों में सुनाए गए निर्णयों के तहत प्राधिकरण ने प्रमोटर्स पर कड़ी चौकसी रखने के अलावा रियल एस्टेट सेक्टर को नियमित करने के साथ-साथ मानकीकृत अचल संपत्ति क्षेत्र के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं, जो पारदर्शी और कुशल तरीके से काम करेंगे।

हरियाणा रियल एस्टेट विनियामक प्राधिकरण, गुरुग्राम के अध्यक्ष डॉ. के.के. खंडेलवाल और सदस्य श्री एस.सी. कुश ने गत 27 अक्टूबर, 2020 को कई आवंटियों द्वारा की गई शिकायतों के मद्देनजर विभिन्न प्रमोटरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है।

मेसर्स सीएचडी डेवलपर्स, मेसर्स आइरियो प्राइवेट लि., मेसर्स लैंडमार्क अपार्टमेंट्स प्रा. लि., मेसर्स सिद्धार्थ बिल्डहोम प्रा. लि., मेसर्स वाटिका लि., मेसर्स ताशी लैंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड और मेसर्स तुलसियानी कंस्ट्रक्शंस एंड डेवलपर्स प्रा. लिमिटेड के खिलाफ निष्पादन की कार्यवाही में प्राधिकरण ने निदेशकों की चल संपत्तियों के साथ-साथ 7 करोड़ रूपए की बड़ी राशि तक के बैंक खातों को संलग्न करने के आदेश दिये है।

प्राधिकरण के आदेशों का पालन नहीं करने के लिए मैसर्स प्राइम टाइम इंफ्रा प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशकों के खिलाफ जमानती वारंट जारी करने का आदेश दिया गया है। निष्पादन याचिकाओं से संबंधित मामलों की सुनवाई के दौरान, प्राधिकरण ने पाया कि मेसर्स क्लेरियन प्रॉपर्टीज लिमिटेड ने प्राधिकरण के साथ विचाराधीन परियोजना को पंजीकृत नहीं करके अधिनियम की धारा-3 का घोर उल्लंघन किया है। प्राधिकरण ने धारा-59 के तहत परियोजना के गैर-पंजीकरण के लिए डेवलपर के खिलाफ कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया, जिसमें कहा गया है कि ‘‘प्रमोटर अचल संपत्ति परियोजना की अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना के लिए उत्तरदायी होगा’’ और यदि प्रमोटर धारा-3 के प्रावधानों का उल्लंघन करना जारी रखता है, तो वह 3 साल तक के कारावास या रियल एस्टेट प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत का 10 प्रतिशत तक जुर्माना या दोनों के साथ दंडनीय होगा।

चूंकि, प्रोमोटर्स अनुचित व्यापार प्रथाओं में शामिल होते हैं, जिनमें कब्जे को सौंपने में देरी होती है। मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड के खिलाफ आई शिकायतों में प्रमोटर के विरूद्ध सख्त कार्रवाई की गई है और प्राधिकरण ने प्रमोटर द्वारा कब्जे सौंपने में देरी के लिए आवंटी को 5 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। प्रमोटर मेसर्स सुपरटेक लिमिटेड पर निर्धारित समय के भीतर जवाब दाखिल नहीं करने के लिए 1,30,000 रूपए जुर्माना भी लगाया गया है और उसका भुगतान किया गया है, जिसका आवंटन आवंटियों को किया जाएगा। इस प्रकार, अचल संपत्ति क्षेत्र में होमबॉयर्स के विश्वास को ऊपर उठाने का काम किया गया है।
डॉ. खंडेलवाल का मत है कि डिफाल्टिंग प्रमोटरों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई न केवल रियल एस्टेट क्षेत्र के विकास का वातावरण प्रदान करने में मदद करेगी बल्कि प्रमोटरों के निर्धारित समय सीमा के भीतर अपनी परियोजनाओं को पूरा न करने और हरियाणा रियल एस्टेट (विनियमन एवं विकास) अधिनियम, 2016 में निर्धारित नियमों और विनियमों के अनुसार आवंटियों को प्राधिकरण में अपना विश्वास हासिल करने और उनके संरक्षण के लिए सहायता करेगी।

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