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चंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनावों के लिए टिकट वितरण के मामले में कांग्रेस आलाकमान की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को पूरी 'हां' और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अशोक तंवर को पूरी 'ना' रही है. भले ही हरियाणा में कांग्रेस कई धड़ों में बंटी हुई है। लेकिन कुल 90 सीटों में से 60 से ज्यादा टिकट हुड्डा समर्थकों को मिली हैं। अंबाला और सिरसा लोकसभा क्षेत्रों में पार्टी अध्यक्ष की नवनियुक्त अध्यक्ष कुमारी सैलजा की पसंद को ध्यान में रख कर टिकटें दी गई हैं।
कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के पूर्व के अध्यक्ष अशोक तंवर के प्रदर्शन को कोई तरजीह नहीं दी। तंवर समर्थकों को टिकट के मामले में पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। टिकटों का फैसला प्रदेश कांग्रेस की नवनियुक्त अध्यक्ष कुमारी सैलजा और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सहमति से किया गया है। कुछ सीटें ऐसी भी थीं, जहां सैलजा और हुड्डा के बीच भी लंबी खींचतान के बाद फैसला किया गया। अपने समर्थकों के साथ दिन भर हंगामा करने के बावजूद टिकट के मामले में तंवर को मायूसी ही मिली। उन्होंने कांग्रेस आलाकमान को एक लंबी-चौड़ी सूची देते हुए पांच साल तक कांग्रेस की मजबूती के लिए अपना साथ देने के लिए उन्हें टिकट देने का आग्रह किया था।
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. बंसीलाल के परिवार को तीन टिकट मिली हैं। बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी को तोशाम, बड़े बेटे रणबीर महेंद्रा को बाढड़ा और दामाद सोमवीर सिंह को लोहारू क्षेत्र से टिकट दिया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. भजनलाल के दोनों बेटों पूर्व उप मुख्यमंत्री चंद्रमोहन को पंचकूला और कुलदीप बिश्नोई को आदमपुर से मैदान में उतारा गया है, जबकि उनकी पुत्रवधू व हांसी से मौजूदा विधायक रेणुका बिश्नोई को टिकट से इनकार कर दिया गया है। हालांकि, हांसी से कुलदीप बिश्नोई की सिफारिश पर ओमप्रकाश पंघाल को जरूर टिकट दे दिया गया है। इसी तरह नलवा क्षेत्र से भी बिश्नोई के समर्थक रणधीर पनिहार को चुनाव लड़ने के लिए झंडी दी गई है।
पूर्व मुख्यमंत्री स्व. देवीलाल के बेटे पूर्व मंत्री रणजीत सिंह रानिया क्षेत्र से टिकट की लड़ाई में पिछड़ गए। विनीत कंबोज को टिकट दिए जाने से नाराज रणजीत सिंह ने रानिया से आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। दूसरी तरफ कई चुनाव हार चुके देवीलाल के भांजे डॉ. के.वी. सिंह की जगह उनके बेटे अमित सिहाग को डबवाली से टिकट मिल गया है।
अंबाला जिले की अंबाला छावनी सीट से पूर्व मंत्री निर्मल सिंह अपनी बेटी चित्र सरवरा को टिकट दिलाने पर अड़े थे। हुड्डा भी चित्रा का समर्थन कर रहे थे, लेकिन सैलजा यहां अपनी समर्थक वेणु सिंगला अग्रवाल को टिकट दिलाने में कामयाब रही हैं। निर्मल और उनकी बेटी चित्रा अब अंबाला शहर और अंबाला छावनी से आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरेंगे।
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