चंडीगढ़। हरियाणा की प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों द्वारा किसानों को ऋण देने का जो तरीक़ा पहले से चलता आ रहा था वही चलता रहेगा, इसमें किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है। प्रदेश की कुछ समितियों में किसानों ने ऋण का पैसा ब्याज के साथ जमा करवा दिया है उन समितियों को सरकार ने आदेश दिए हैं कि वे किसानों से लिए ब्याज को उनके खातों में वापस जमा करें क्योंकि किसानों से ब्याज लिए जाने का कोई भी निर्णय सरकार द्वारा नहीं दिया गया है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया कि हरियाणा की प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के माध्यम से किसानों को डेढ़ लाख रुपए तक का ब्याज मुक्त कर्ज दिया जाता है। प्रदेश की समितियां हर वर्ष किसानों को लगभग छह हज़ार करोड़ रुपए का ऋण प्रदान करती हैं। जिससे किसानों को कृषि से जुड़े खर्चों की व्यवस्था करने में काफी मदद मिलती है। समितियों द्वारा न केवल किसानों बल्कि ठेके पर जमीन लेकर खेती करने वाले काश्तकारों को भी ऋण उपलब्ध कराया जाता है।
गौरतलब है कि हरियाणा में इस समय 751 सहकारी समितियां हैं। इनके माध्यम से प्रदेश के 12 लाख किसानों को ऋण दिया गया है जिनमें से क़रीब छह लाख किसान समय पर लेन देन कर रहे हैं। किसानों को दिए गए इस ऋण पर प्रदेश सरकार ब्याज नहीं लेती है बल्कि यह ब्याज मुक्त ऋण होता है। इन समितियों में कुछ किसानों ने इस बार ऋण के साथ ब्याज की राशि भी बैंकों में जमा करवा दी थी।
इस संबंध में प्रदेश सरकार की तरफ से 1 पत्र सभी पैक्स को जारी किया गया है जिसमें उन्हें निर्देशित किया गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा किसानों से ब्याज लेने की का निर्णय फिलहाल नहीं लिया गया है इसलिए जिन किसानों ने ऋण और ब्याज की राशि जमा करवाई है उन्हें ब्याज की राशि उनके खातों में वापस कर दी जाए।
गौरतलब है कि पैक्स द्वारा किसानों को बिना ब्याज के ऋण उपलब्ध कराया जाता है और उसे ऋण पर जो ब्याज बनता है उसका 4 प्रतिशत हरियाणा सरकार और 3 प्रतिशत केंद्र सरकार वहन करती है।
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