चण्डीगढ़। हरियाणा शिक्षा विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव धीरा खंडेलवाल ने कहा कि स्कूलों में अच्छी शिक्षा और संस्कार देने से ही राष्ट्र का निर्माण हो पाएगा। इसलिए शिक्षकों को खुद भाषा पर अपनी पकड़ को मजबूत बनाना होगा और फिर देश के भविष्य यानि बच्चों को भाषा का ज्ञान देना होगा। जब बच्चों की कम से कम एक भाषा पर पकड़ होगी तभी देश का निर्माण सम्भव होगा। इन्ही तमाम पहलुओं को जहन में रखते हुए राज्य सरकार ने राजकीय स्कूलों में पहली कक्षा से ही बच्चों को भाषा का ज्ञान देने के लिए भाषा विकास जैसी योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम किया है और इसके लिए सबसे पहले शिक्षकों को भाषा का ज्ञान देने के लिए शिक्षक प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया जा रहा है। ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
धीरा खंडेलवाल आज कुरूक्षेत्र के राजकीय सीनियर मॉडल स्कूल के सभागार में शिक्षा विभाग की तरफ से चल रहे भाषा विकास शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का औचक निरीक्षण करने के उपरांत शिक्षकों को सम्बोधित कर रही थी। इससे पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती धीरा खंडेलवाल, नगराधीश कंवर सिंह, भाषा एवं प्रशिक्षण फांउडेशन नई दिल्ली के कार्यकारी अध्यक्ष धीर झिंगरा, जिला शिक्षा अधिकारी नमिता कौशिक, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतपाल भट्टी, स्कूल की प्रिंसीपल संतोष शर्मा, शिक्षा अधिकारी कल्पना, एपीसी कृष्णा कुमारी ने प्रशिक्षण शिविर की कक्षाओं का निरीक्षण किया।
इस दौरान, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने शिक्षकों से भाषा प्रशिक्षण शिविर को लेकर विस्तृत बातचीत की, शिक्षकों के साथ कक्षा में बैठकर पाठ्यक्रम के बारे में पूछा और कक्षाओं में किए जा रहे प्रैक्टिकल कार्य को भी देखा। अतिरिक्त मुख्य सचिव अतिरिक्त मुख्य सचिव, धीरा खंडेलवाल ने हरियाणा शिक्षा विभाग व भाषा एवं प्रशिक्षण फांउडेशन नई दिल्ली के बीच हुए समझौते के बाद तैयार की गई पहली कक्षा की पाठ्य सामग्री का अनावरण करते हुए कहा कि मनुष्य के जीवन में सीखना कभी खत्म नहीं होता और खासकर शिक्षक को हमेशा नए आविष्कार और नई सम्भावनाओं की हमेशा तलाश करनी चाहिए। सरकार ने कुरुक्षेत्र की पावन धरा से बच्चों और शिक्षकों को भाषा के विषय पर निपुण बनाने के लिए भाषा प्रशिक्षण शिविर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया क्योंकि इसी धरा पर संस्कृति और संस्कारों का जन्म हुआ। इस धरा को शिक्षा के क्षेत्र में उज्जैन की तरह माना जाता है। उन्होंने कहा कि अगर पहली और दूसरी कक्षा का विद्यार्थी भाषा में समृद्ध हो जाता है तो बच्चों में आत्मविश्वास पैदा होगा जिससे व्यक्तित्व विकास भी होगा। अगर भाषा का ज्ञान नहीं होगा तो बच्चों का मानसिक विकास भी नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि शिक्षक का व्यक्ति निर्माण में अहम योगदान है, क्योंकि शिक्षक ही बच्चों को तराश कर शिक्षित और संस्कारवान बना सकता है। इसके लिए शिक्षक को पहले खुद सीखना होगा और फिर बच्चों को भाषा विषय में निपुण बनाना होगा। इतना ही नहीं जीवन में आगे बढऩे के लिए कम से कम किसी एक भाषा में दक्ष होना जरुरी है। किसी भी शिक्षक और विद्यार्थी को एक-एक शब्द का अध्ययन करना होगा। इन शब्दों का अध्ययन किए बिना आगे बढऩा व्यर्थ ही समझा जाएगा। शिक्षकों को रोजाना कम से कम 5 शब्दों का ज्ञान बच्चों को देना होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने लम्बे शोध और मंथन के बाद भाषा प्रशिक्षण कोर्स तैयार किया है। इस प्रशिक्षण शिविर के दौरान मन लगाकर शिक्षकों को सीखना होगा।
कुरूक्षेत्र के जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी सतनाम सिंह ने मेहमानों का स्वागत करते हुए कहा कि एलएलएफ और राज्य सरकार के पायलट प्रोजैक्ट के तहत प्रथम कक्षा के विद्यार्थियों को किस प्रकार भाषा में दक्ष बनाया जाए, इसके लिए भाषा कोर्स शुरु किया गया है। इस योजना के तहत थानेसर खंड में 78, पिहोवा में 52 और शाहबाद में 45 स्कूलों का चयन किया गया है। इन सभी स्कूलों के शिक्षकों को तीन चरणों में प्रशिक्षण दिया जाएगा। शिक्षा अधिकारी कल्पना व शिक्षक दिप्ती ने भी अपने विचार सांझा करते हुए प्रशिक्षण शिविरों की फीडबैक रिपोर्ट प्रस्तुत की। एपीसी कृष्णा कुमारी ने प्रशिक्षण शिविरों के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि थानेसर खंड के शिक्षकों को 13 से 17 अप्रैल और पिहोवा व शाहबाद खंड के शिक्षकों को 19 से 21 अप्रैल तक प्रशिक्षण दिया जाएगा। जिला शिक्षा अधिकारी नमिता कौशिक ने मेहमानों का आभार व्यक्त किया। इस मौके पर बीईओ विनोद कौशिक सहित अन्य अधिकारी व शिक्षक मौजूद थे।
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