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चंंडीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनावों के दौरान भाजपा ने जिन्हें पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोपों में छह साल के लिए बाहर निकाल दिया था, खट्टर सरकार अब उन्हीं को गले लगाने को मजबूर है।
भाजपा के अधिकृत उम्मीदवारों के खिलाफ बगावत कर मैदान में उतरने और फिर जीत कर विधानसभा मेंं पहुंचने वाले चार आजाद विधायकों को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने विभिन्न बोर्डों-निगमों की चेयरमैनी सौंप दी है। बतौर आजाद उम्मीदवार चुनाव जीतने वाले सातों विधायकों ने खट्टर सरकार को समर्थन का ऐलान किया था। इनमें से रणजीत सिंह कैबिनेट मंत्री बनाए गए हैं, जबकि चार विधायकों को चेयरमैन की जिम्मेवारी दे दी गई है। बाकी रहे दो आजाद विधायकों को भी जल्दी ही एडजस्ट कर दिया जाएगा।
हालांकि, बहुमत से पांच सीट दूर रह गई भाजपा ने दस सीटें जीतने वाली जननायक जनता पार्टी ( जजपा ) के साथ मिल कर सरकार तो बना ली, लेकिन खट्टर सरकार आजाद विधायकों को भी अपने साथ जोड़े रखना चाहती है। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि अगर आगे चल कर जजपा से कोई खटपट हो जाए तो आजाद विधायकों के सहारे सरकार चलाई जा सके।
आजाद विधायकों में दादरी के सोमवीर सांगवान को राज्य पशुधन विकास बोर्ड, नीलोखेड़ी के धर्मपाल गोंदर को राज्य वन विकास निगम, पूंडरी के रणधीर गोलन को राज्य पर्यटन निगम और पृथला के नयनपाल रावत को राज्य भंडारण निगम का चेयरमैन बनाया गया है। उम्मीद की जा रही है कि महम के आजाद विधायक बलराज कुंडू और बादशाहपुर के आजाद विधायक राकेश दौलताबाद को भी जल्दी ही कोई जिम्मेदारी दे दी जाएगी।
खट्टर का पुरानों पर ही भरोसा
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अपने दफ्तर में सिपहसालारों की नियुक्ति करते समय ज्यादातर पुराने लोगों पर ही भरोसा जताया है। नई नियुक्तियों में नीरज दफ्तुआर को मुख्य विशेष कार्याधिकारी, भूपेश्वर दयाल को विशेष कार्याधिकारी और अमित आर्य को मीडिया सलाहकार (दिल्ली) नियुक्त किया है। इसके अलावा शाहबाद से चुनाव हार गए राज्य मंत्री कृष्ण बेदी और पूर्व चेयरमैन अजय गौड़ को अपना राजनीतिक सचिव बनाया है।
पिछड़े वर्ग को लुभाने की कोशिश
हरियाणा में पिछड़े वर्ग को लुभाने के लिए हिसार जिले के नलवा क्षेत्र से भाजपा के विधायक रणबीर सिंह गंगवा को डिप्टी स्पीकर बनाया गया है। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर विधायक और राज्यसभा सदस्य रह चुके गंगवा विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा मेंं शामिल हुए थे। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला परिवार के दोफाड़ होने के बाद गंगवा ने इनेलो छोड़ दी थी। भाजपा ने उन्हें उनके पुराने चुनाव क्षेत्र नलवा से टिकट दे दिया और वे दोबारा जीतने में कामयाब रहे।
गंगवा को उम्मीद थी कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह मिल जाएगी, लेकिन 14 नवंबर को हुए मंत्रिमंडल गठन के दौरान वे अपने लिए स्थान बना पाने मेंं सफल नहीं हो पाए थे। अब संविधान दिवस की 70वीं वर्षगांठ पर बुलाए गए एक दिन के विशेष सत्र के दौरान गंगवा को सदन ने सर्वसम्मति से डिप्टी स्पीकर की जिम्मेदारी दे दी।
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