चंडीगढ़। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने दिल्ली में सिख बिजनेस लीडर्स ऑफ इंडिया कॉफ़ी टेबल बुक रिलीज़ की। यह बुक डॉक्टर प्रभलीन ने लिखी है। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने उद्यमियों को हरियाणा में उद्योग लगाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उद्योगों के लिए अनुकूल वातावरण बनाया है, सरकार की ओर से बहुत सी सुविधाएं दी जा रही हैं। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
उन्होंने सिख उद्योगपतियों से कहाकि हरियाणा में आकर व्यापार करेंगे तो उन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं आएगी। सरकार ने सिंगल रूफ़ सिस्टम बनाया है। इसके तहत उद्योगों को मिलने वाली सभी प्रकार की अनुमति 45 दिन में एक छत के नीचे मिल रही हैं। बिजली आपूर्ति की स्थिति भी बेहतर है। इतना ही नहीं, औद्योगिकीकरण की दृष्टि से राज्य सरकार ने प्रदेश को 4 श्रेणियों - ए, बी, सी और डी में बांटा है। यदि सी और डी जोन में उद्योग स्थापित करेंगे तो 4000 रुपए प्रति वर्कर प्रति माह अगले 4 सालों तक हरियाणा सरकार प्रोत्साहन के तौर पर प्रतिपूर्ति करेगी।
मनोहरलाल ने कहाकि सिख समाज का प्रदेश और देश की उन्नति में बहुत बड़ा योगदान है। यह समाज कर्मशील समाज है। इन्होंने संघर्ष करके अपने व्यापार, अपने परिवार, देश और समाज को आगे बढ़ाने का काम किया है। इसके साथ ही जो लोग किसी कारणवश मुख्यधारा से पीछे रह गए हैं, उनको आगे बढ़ाने के लिए भी सेवा भाव से काम कर रहे हैं। दशम पातशाही के समय देश में जो हालात थे, उस समय देश गुलामी की जिंदगी जी रहा था। उस समय श्री गुरु नानक देव जी ने भक्ति आंदोलन शुरू किया। उसके बाद कई कथावाचकों ने भी लोगों में भक्ति भाव पैदा करके लोगों का मन मजबूत करने का काम किया। दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का समय जब आया तब यह महसूस हुआ कि भक्ति भाव के बाद शक्ति मार्ग का भी उपयोग करना पड़ेगा। शक्ति का प्रयोग करके दुश्मनों को हराकर आगे बढ़ना होगा।
बाबा बंदासिंह बहादुर ने लोहगढ़ में बनाई राजधानीः
मनोहर लाल ने कहा कि जब गुरू गोबिंद सिंह जी की बाबा बंदा सिंह बहादुर से मुलाकात हुई। उन्होंने कहा कि उत्तर भारत में आपकी जरूरत है, जहां जनता पर मुगलों द्वारा अत्याचार किए जा रहे हैं। मुगलों के खिलाफ लड़ने के लिए एक सेनापति चाहिए, जिस पर बाबा बंदा सिंह बहादुर खरे उतरे और अपने आपको अजेय मानने वाले मुगलों को भी लगा कि उनका लोहे के चने चबवाने वाले सेनापति से मुकाबला हो रहा है। बाबा बंदा सिंह बहादुर ने सोनीपत जिले के खंडा शेरी गांव से युवाओं को एकत्र कर सेना बनाने की शुरुआत की। इस प्रकार विभिन्न स्थानों का दौरा कर एक सेना खड़ी की और लोहगढ़ को सिख राज की पहली राजधानी बनाया। पहली बार कृषि सुधार का कानून भी उन्होंने ही लागू किया था।
भाईचारे, त्याग और समर्पण की शिक्षा गुरुओं से मिलीः
श्री गुरु तेग बहादुर सिंह जी द्वारा किए गए सर्वोच्च बलिदान की कहानी को साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहाकि जब भाई जैता जी गुरु तेग बहादुर जी के शीश को आनंदपुर साहिब ले जाते हुए सोनीपत पहुंचे। उस समय मुगलों की सेना उनके पीछे थी। उससे बचने के लिए भाई जैता जी सोनीपत के गांव बड़खालसा में छुप गए। इस गाँव के कुशाल सिंह दाहिया, जिनकी शक्ल गुरु जी से मिलती थी, ने गुरुशीश के बदले अपना शीश न्यौछावर कर दिया। जिसे गुरुजी का शीश समझकर मुग़ल अपने साथ ले गए। कुशाल दाहिया के बलिदान से गुरु तेग बहादुर जी का शीश आनंदपुर साहिब पहुँचाया जा सका। भाई कुशाल सिंह दहिया के इस महान बलिदान को सदैव याद रखा जाएगा। उनकी याद में बड़खालसा में एक मेमोरियल भी बना है। उन्होंने कहा कि हरियाणा में गुरुओं की बहुत सी निशानियां हैं। हरियाणा गुरुओं का कर्मक्षेत्र रहा है। भाईचारे, त्याग और समर्पण की शिक्षा गुरुओं से ही मिली है, वह आज भी समाज में प्रासंगिक है।
हरियाणा सरकार ने किए सराहनीय कार्यः
पूर्व सांसद पद्मभूषण सरदार तरलोचन सिंह ने मुख्यमंत्री मनोहरलाल और सरकार के कार्यों की सराहना करते हुए कहाकि हरियाणा बनने के बाद सिख इतिहास और सिखों के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नेतृत्व में सबसे ज्यादा काम हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम सब बाबा बंदा सिंह बहादुर के गुण गाते रहे, लेकिन उनकी यादगार में कोई निशानी बनाने की कभी नहीं सोची। मनोहरलाल ने बाबा बंदा सिंह बहादुर जहां राज करते थे। उनकी राजधानी में ही उनकी यादगार में करोड़ों रुपये खर्च करके ऐतिहासिक स्मारक बनवाया है। बाबा बंदासिंह बहादुर का इतिहास पुनर्जीवित करने में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का अहम योगदान है।
देशभर से सिख समाज के प्रतिष्ठित लोग जुटेः
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में सिख समाज के बड़े प्रतिष्ठित लोग मौजूद रहे। इनमें मुख्य रूप से पंजाब नेशनल बैंक के पूर्व चेयरमैन सरदार एसएस कोहली, खदूर साहिब से सांसद सरदार जसबीर सिंह गिल, इंटरनेशनल पंजाब फोरम के राजेंद्र सिंह राजू चड्ढा, हेमकुंड मैनेजमेंट ट्रस्ट उत्तराखंड के चेयरमैन सरदार नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा, सिगमा ग्रुप ऑफ कंपनीज के अध्यक्ष सरदार कबीर सिंह, एवन साइकिल लुधियाना के सीएमडी सरदार ओंकार सिंह पाहवा, समिति के महासचिव एवं हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष सरदार गुरविंदर सिंह धमीजा, पंजाब व हरियाणा में आदेश ग्रुप आफ हॉस्पिटल व कॉलेजों के चेयरमैन डॉ हरिंदर सिंह गिल, बॉन ब्रेड के चेयरमैन सरदार मंजीत सिंह, सैम यूनिवर्सिटी भोपाल के चांसलर डॉ एचएस सलूजा, बेल ला मोंडे ग्रुप के चेयरमैन सरदार गुरमीत सिंह, आउटलुक समूह के प्रकाशक संदीप घोष, पंजाब एवं सिंध बैंक के चेयरमैन डॉक्टर चरण सिंह सहित सिख समुदाय के देशभर से विख्यात उद्यमी तथा व्यवसायी शामिल थे।
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