चण्डीगढ़। हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने आज 27 संस्कृत साहित्यकारों को 28.86 लाख रूपए की पुरस्कार राशि एवं विभिन्न अलंकरणों से सम्मानित किया। राजभवन में आयोजित पुरस्कार वितरण समारोह में आर्य ने कहा कि संस्कृत देव भाषा है और इसके उत्थान के लिए सभी को आगे बढ़कर काम करना चाहिए। देवताओं की इस अमर वाणी को बढ़ाने में आज के साहित्यकारों, कवियों तथा लेखकों का अहम योगदान रहा है। उन्होनें कहा कि आधुनिक युग में विश्व के वैज्ञानिकों ने भी संस्कृत को कम्प्यूटर के लिए भी सबसे अनुकूल भाषा बताया है। इसलिए देश के लोगों को चाहिए कि वे पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में न आकर अपनी भाषा एवं संस्कृति को अपनाए। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
आर्य ने कहा कि हरियाणा सरकार ने कैथल जिला के मूंदडी गांव में महर्षि वाल्मिकी संस्कृत विश्वविद्यालय स्थापित किया है। जिससे देश व प्रदेश के युवाओं को संस्कृत, साहित्य और भाषा को सीखने का अवसर मिलेगा और संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं में रूझान बढ़ेगा। उन्होंने इस अवसर पर साहित्य अकादमी की पत्रिका हरिप्रभा, हरिवाक् तथा अकादमी की स्मारिका का विमोचन भी किया।
कार्यक्रम के दौरान विधानसभा अध्यक्ष कंवर पाल ने कहा कि संस्कृत भाषा व्यक्ति के चरित्र को प्रदर्शित करती है। देश में यह पहली सरकार है जिसने संस्कृत और अपनी संस्कृति को बढ़ाने पर बल दिया है। उन्होनेें कहा कि संस्कृत से जुड़े संस्थानों, विद्यालयों, संस्थाओं को भारतीय संस्कृति को बनाए रखने के लिए कार्य करना होगा। इसके साथ-साथ संस्कृति को वर्तमान संदर्भ के अनुकूल ढालकर भाषा का विकास करना होगा। उन्होनें संस्कृत साहित्यकारों का आहवान किया कि वे युवा पीढ़ी को आधुनिकता के अनुरूप तैयार कर देश की संस्कृति से ओत-प्रोत करें।
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