चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि प्रत्येक एलुमनी (पूर्व छात्र) को अपने पूर्व विद्या-संस्थान में 'गुरु-दक्षिणा' के तौर पर कुछ न कुछ अवश्य दान करना चाहिए, क्योंकि कोई भी संस्था अपने एलुमनी के दम पर ही बेहतर ढंग से प्रगति कर सकती है।मुख्यमंत्री रोहतक में महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के 'एलुमनी-मीट-2022' के अवसर पर बतौर मुख्यातिथि समारोह को संबोधित कर रहे थे। ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
मुख्यमंत्री ने यूनिवर्सिटी के एलुमनी से खचाखच भरे सभागार में सर्वप्रथम इस अभिभूत करने वाले दृश्य को नमस्कार करते हुए जब अपना उद्बोधन शुरू किया तो करतल ध्वनि से पूरा माहौल गुंजायमान हो गया। उन्होंने राज्यभर के शिक्षण-संस्थानों में एलुमनी-मीट आरम्भ किए जाने के अपने प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी दी , और बताया कि जब एक पूर्व छात्र अपने संस्थान में पहुंचता है तो उसकी पुरानी स्मृतियां ताजा हो जाती हैं। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों की स्मृतियों के पन्ने पलटते हुए कहा कि वे रोहतक के पंडित नेकीराम शर्मा कॉलेज के विद्यार्थी रहे हैं, उनको हर वो जगह याद है जहां वे अपने सहपाठियों के साथ बैठकर पढ़ते थे,खेलते थे। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थान भी हमारे घर जैसा होता है, हर विद्यार्थी का उससे पारिवारिक सदस्य की तरह जुड़ाव रहता है।
मुख्यमंत्री ने एलुमनी-मीट का महत्व बताते हुए कहा कि अमेरिका की 273 वर्ष पुरानी यूनिवर्सिटी प्रिंसटन-यूनिवर्सिटी से हारवर्ड जैसी विश्व की कई यूनिवर्सिटीज में एलुमनी-मीट का आयोजन किया जाता है। इन यूनिवर्सिटीज की प्रगति में इनके एलुमनी का विशेष योगदान रहा है। उन्होंने एलुमनी की ओर मुखातिब होते हुए कहा कि आप सब का दायित्व बनता है कि इस यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले छोटे भाई-बहनों का मार्गदर्शन, फीस या अन्य प्रकार से सहयोग करें।मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने समाज मे विकास के लिए शिक्षा की भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि प्राचीन समय में हमारे देश में गुरुकुल परम्परा थी जहां निःशुल्क शिक्षा दी जाती थी। इन गुरुकुल से शिक्षा प्राप्त विद्यार्थी वर्ष में एक बार अपने गुरु की श्रद्धा अनुसार गुरु-दक्षिणा अवश्य देते थे। उसी दक्षिणा-दिवस को वर्तमान समय मे दीक्षांत-समारोह बोला जाने लगा है।
उन्होंने राज्य में शिक्षा के प्रति अपने संकल्प को आगे बढ़ाने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष शिक्षा का बजट 20 हजार करोड़ रुपए रखा है ताकि हर 20 किलोमीटर पर एक कॉलेज तथा हर जिला में एक मेडिकल कॉलेज के टारगेट को पूरा किया जा सके। इस साल 4 मेडिकल कॉलेज आरम्भ किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने एलुमनी-मीट के दौरान सभी एलुमनी से आह्वान किया कि वे अपनी यूनिवर्सिटी को कुछ न कुछ धन या स्किल देने का कमिटमेंट करें। उनका प्रयास रहेगा कि अपने शैक्षणिक संस्थान में दी जाने वाली धनराशि पर आयकर में छूट मिल सके। उन्होंने यूनिवर्सिटी के कुलपति को कहा कि उनकी (मुख्यमंत्री) तरफ से यूनिवर्सिटी के सभी एलुमनी को पत्र लिखा जाए जिसमें यूनिवर्सिटी की प्रगति में योगदान देने की अपील की जाए। मुख्यमंत्री की भावुक अपील का तुरंत असर नजर आया और तभी कई एलुमनी ने लाखों की राशि व अपने-अपने क्षेत्र की स्किल का योगदान देने की घोषणा कर डाली, जिस पर मुख्यमंत्री ने उनको सम्मानित भी किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि देश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नही है बल्कि हर नागरिक का फर्ज बनता है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ' सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' के मूलमंत्र पर चलने का आह्वान करते हुए कहा कि हम सबको मिलकर भारत को पूरी दुनिया में सिरमौर बनाना है। कई एलुमनी ने मुख्यमंत्री के समक्ष यूनिवर्सिटी में बिताए पलों के अनुभवों को सांझा किया और मुख्यमंत्री की एलुमनी-मीट शुरू करने की सोच की प्रशंसा की।
एलुमनी-मीट समारोह की अध्यक्षता कर रहे महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी के कुलपति राजबीर सिंह ने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का स्वागत करते हुए यूनिवर्सिटी की उपलब्धियों से अवगत करवाया और बताया कि 47 वर्ष पूर्व लगाया गया शिक्षा का यह पौधा आज वटवृक्ष बन चुका है। शिक्षा और खेल के अलावा विभिन्न क्षेत्रों में कई तमगे हासिल किए हैं। उन्होंने बताया कि उनकी यूनिवर्सिटी का प्रयास कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को वर्ष 2025 तक लागू कर दिया जाए, इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।
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